बीसवी शताब्दी में भारतीय महिलाओं का सामाजिक एवं राजनीतिक जागरण | Beesvee Shatabdi Me Bharteey Mahilawon Ka Samajik Avam Rajneetik Jagran
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55 MB
कुल पष्ठ :
453
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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হক
कन्या का जन्म दक दुखद घटना माना जाता था । हवति मै प्रभाक
वर्थन कशता है कि पुत्री कै जत्म पर व्यात भायू व्छातै थै ।* बासविवाह का
प्रभलन शी तक दुद्रा प्राष्स नहीं कर জরা গা | राजबो, महा।वैता, आवात्यिरी
तथा कसिदास की प्रमुख पा्जी शकुत्तता' विवाह के समय युवती थीं । परन्तु जहाँ
पर् स्मृति श्रै फा पालन शौता धा । सर्वक्षाधारणा तथा' पुरातनपंवी প্িন্ছু
परिव पैं विवाह की জাহু গণ घटा' वी गई थी । उदाह्ए्लार्थमन्रु सितै
हैं कि तीस অক্ষর ঘুর এপ जाएह बर्जा की सथा चौजीस वजीय युवक कौ' बाठ
দত কী कन्था सै विवाह करता পাতি | कालान्तर मैं लाल विवाह की प्रवारि
श्रौए भी अधिक बढू गई थी | यौग्य পন লিল অজ ফাস थे हो জিলা कर
दैना' बाजिए, परन्तु प्रत्यक्ष दशा मैं ब्ौटी आयु मैं विवाह कर धना चाहिए । एच
समय आयु के प्लुत्ार कालक पै उमः नाम षै तथा केम प हर्दा रायु লী দিলা
भौरमे क्षा विधान उचित माना गया ।
ढा० बल्टैकर मे वाल-विवाह की व्यापकता के अगैक काएएा बताए हैं *
उन अनुप्ताप् समाज के उच्च बयां मे भी পিদ্পতরী ৯ পারা को अपनाना পাস
कर दिया धा । {तीय जाति प्रधा ¢ अधन कठौर् हींगे कै काएए पिता के सामने...
यौग्य वर के चुनाव का श्रौत प्रत्यन्त सौमित हौ जाता था तथा अल्यत्रायु ध विह ,
करने चै पिला पुत्री के भाँविष्य की भर से सिरि हौ जता धा । जत्टैकर कै मत.
से सयुवत परिवार ज्रावाली भी छात्ञ विवाद कौ प्रौत्याहन दैगे का रुक काएए' था
ययौ वर् $ জীছিকীঘাজন ঘীন্ঘ औौते की जावश्यक्ता कम अमुभव की जाती
६, ||. ९, ८. ष 92. 1৮০01
२, পিযহ্জন্ষণী' पहैतु कम्याँ हुवा -वशरवाषशनेप् ।
पुष्टं वणँ इवय ता धु सौदति सत्वः || मनु » ६1६४
३, दथदुनुणवते कन्या লব্ধ ভাত |
শা শা गृणहीनाय नैपलनरव्या इजस्व्ाम् || ५.८९. ?. २।८
४, शष्टव्ण भवेत् गौ नकद তু হীক্ষিতা |
दरव भवितु कन्याः भत জামী ফেলা || 0 - 4५५ 1 २६।२२
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