संक्षिप्त रामायण | Sankshipt Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
83
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मा निषाद प्रतिष्ठांत्यमगम: शाश्वती: समा: ।
यत् क्रौचमिथुनदिकमयधीः काममोहितम् । ।
एलोक के रूप में फूट पड़ी ।
हि निषाद! तुझे कभी भी शांति न मिले क्योंकि
तुमने काम मोहित क्रींच के जोड़े में से एक की
बिना किसी अपराध के हत्या कर दी है।) आदि
कवि वाल्मीकि के मुख से निकला यह पहला
गलोक था।
स्थिर चित्त होने पर वाल्मीकि का ध्यान श्लोक
के अर्थ पर गया। अर्थबोध से उनको बड़ा दुःख
हुआ । वे सोचने लगे कि मैंने व्यर्थ ही निषाद को
इतना कणेर शाप दे दिया । इसी चिंता में मग्न वे
चले जा रहे थे कि उनको नारद की वाणी याद
पड़ी। एक बार नारद से उन्होंने पूछा था, “ हे
देवर्षि! मुझे एक ऐसे पुएण का नाम बताइए जो
गुणवान, बलवान और धर्मत्मा हो, जो सत्य पर
ददर र्ता हो, अपने वचनं का पक्का हो, सबका
हित करने वाला हो, विद्वान हो और जिससे
बढ़कर सुंदर कोई दूसरा न टो नारद ने
. कहा था कि ऐसे एक ही पुएष की मैं जानता हूँ,
वरे इक्ष्वाकु व॑ के राजा दशरथ के पुत्र राम है ।
वे सब तरह से गुणवान ओर रूपवान है ।
वाल्मीकि को ये सब बते याद पड़ ओर रामायण
की जो कथा नारद ने संक्षेप में सुनाई थी वह भी
संक्षिप्त নামায
उनको याद आई।
एक दिन वाल्मीकि जब ध्यान में बैठे हुए भा
निषाद' गुनगुना रहे थे, ब्रहमा ने उनको दर्शन
दिए ब्रह्मा जी बोले, ऋषिवर, मेरी इच्छा से
यह वाणी अनायास आपके मुंह से निकली है ओर
एलोक के रूप में इसलिए निकली है
कि आप अनुष्टुप छंदों में राम के सुपर्ण चरित्र
का वर्णन कीजिए। राम की कथा संक्षेप
में आप नारद से सुन ही चुके हैं। मेरे
आशीर्वाद से राम, लक्ष्मण, सीता ओर राक्षसो का
गुप्त अथवा प्रत्यक्ष पब वृत्तां आपकी ओंखों के
सामने आ जाएगा, जो आगे होगा
वह भी दिखाई पड़ेगा । अत: जो आप लिखेंगे, वह
यथार्थ और सत्य होगा। इस प्रकार आपकी लिखी
हुई रामायण इस लोक में अमर हो जाएगी।
इतना कहकर ब्रहमाजी अंतर्धान हो गए।
वाल्मीकि ए्लोकों में राम के चरित्र का वर्णन
करने लो। उनके सामने राम, लक्ष्मण, सीता,
दशरथ और दशरथ की रानियों का हँसना, बोलना,
चलना-फिरना प्रत्यक्ष हो गया ओर वे बिना एके
रामायण की कथा लिखते रहे। चौबीस हजार
एलोकों मेँ उन्होने पूरी रामायण ति डाली । सब
इलोक मधुर और सुंदर थे। उनका अर्थ समझने
में भी कोई कठिनाई नहीं होती थी।
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