सुमित्रानन्दन पन्त और उनका आधुनिक कवि | Sumitra Nanad Pant Aur Unka Aadhunik Kavi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সি श হারার
এরিক পাশ স্পট টি উপ পপ স্পট পা পপর সাপ কাস ममम मि +
वेचित्रय, प्रतीक विधान, विशेषण-विपर्यय, विरोध-चमत्कार, मानवीकरण,
अन्योक्ति-विधान, हैं | व्यापक श्रर्थ में छायावाद का प्रयोग रहस्यवादी गीतौ
के लिए, भी किया जाता है । | हि
ऊपर गिनाई हुई छायावादी शैली की सभी विशेषतार्ण पन्त मं
मिलती हैं ।
( १ ) लाज्षणिक वेचित्र्य--
“्ुरभि-पीडित मधुपो के बाल
तड़प, बन जाते हैं गुख्ार,”
( मौन-निमन्त्रण )
( भँवरे ही गुज्ञार बन जाते हें = भवरे गुज्लारने लगते ই)
(२) प्रतीक विधान-
“उधा का था उर में आवास”
( आँसू! की बालिका )
( उषा ऊ दिव्य माधुरय्य )
“सरल मोहौ का शरदाकाश
घेर लेते घन, घिर गम्मीर”
( अनित्य जग )
( धन = चिन्तार्पँ )
(३) विशेषण विपपेय--
“शान्त, स्निग्ध; ज्योत्सना उज्ज्वल !
अपलक, अनन्त, नीरव भूतल !??
( नौका विहार )
( शान्त ज्योत्सना = रानि के समय मनुष्य, पशु, पकती सभी शान्त दै ।
नीरव-मूतल = धरती शान्त नहीं, धरती के रहने बाले शन्त ह । )
(४ ) विरोध चमत्कार--
“तीरवतार” उषाकाल की श्रनिर्वचनीय शान्ति श्रौर हषं
गिरा दो जाती है सनयनः
नयन करते नीरव भाषण ‰ ( स्नेह )
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