राष्ट्र निर्माता तिलक | Rashtra Nirmata Tilak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.36 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राष्ट्र निर्माता तिलक ७
के लिए आावइयक है” । तिलक की यत्यु पर राष्ट्र को संबोधित
करते हुए, गांधी जी ने “यंग इरिडिया' सें लिखाः---
'लोकमान्य तिलक '्ाज इमारे बीच नहीं हैं। वइ नहीं
हैं यद विश्वास करना हो कठिन है। बदद जनता के ऐसे
'आावठ्यक अड्डा चने गये थे | हमारे युग के किसी व्यक्ति का
इतना प्रभाव नहीं था जितना कि लोकमान्य का । सहस्त्रों
देश बसी उनमें छसाधारण भक्ति रखते थे। यह श्मपने राष्ट्र
के निरपेदा '्ाराध्य देव हो गये थे । उनका घाक्य उनके लिये
चेद वाक्य हो सया था । मनुष्य में जो सूरमा था 'आाज भूमि
सात दो गया । सिद्द नाद 'आज पघिलीन हो गया ।
कोकमान्य के समान स्वराज्य का मंत्र किसी ने भी इस
लगन और दावे फे साथ नहीं सिखाया था । देशवासियों को
इसी लिए उन पर टूट श्रद्धा थी। उनका साइस 'अदमनीय
रद ! दह घोर 'आाशा बादी थे । अपने जीवन काल में ही
को पूरी च्ययस्थित रूप में देखने की 'माशा रखते थे । इसमें
सफलता नहीं मिली तो इस में उनका दीप नद्दीं था। 'झवइ्य
दी बदद स्वराज्य को कई बपे पहले हमारे निकट ले । हम -
जग जो अब पीछि रद्द गये दूं, यह उनका उत्तर-दायित्व है थक
दुशुने उत्साइ के साथ फम से कम समय में इस उद्देश्य की
पूर्ति करें ।
कोकमान्य नीकरशादी के कठोर थे,
परन्तु इसका अर्थ यह
नहीं हे कि पद 'अरभेज़ों अथवा 'ंप्रेज़ी दाज्य डी
ज्य से घृणा करते थे |
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