राष्ट्र निर्माता तिलक | Rashtra Nirmata Tilak

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Rashtra Nirmata Tilak by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankratyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्र निर्माता तिलक ७ के लिए आावइयक है” । तिलक की यत्यु पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, गांधी जी ने “यंग इरिडिया' सें लिखाः--- 'लोकमान्य तिलक '्ाज इमारे बीच नहीं हैं। वइ नहीं हैं यद विश्वास करना हो कठिन है। बदद जनता के ऐसे 'आावठ्यक अड्डा चने गये थे | हमारे युग के किसी व्यक्ति का इतना प्रभाव नहीं था जितना कि लोकमान्य का । सहस्त्रों देश बसी उनमें छसाधारण भक्ति रखते थे। यह श्मपने राष्ट्र के निरपेदा '्ाराध्य देव हो गये थे । उनका घाक्य उनके लिये चेद वाक्य हो सया था । मनुष्य में जो सूरमा था 'आाज भूमि सात दो गया । सिद्द नाद 'आज पघिलीन हो गया । कोकमान्य के समान स्वराज्य का मंत्र किसी ने भी इस लगन और दावे फे साथ नहीं सिखाया था । देशवासियों को इसी लिए उन पर टूट श्रद्धा थी। उनका साइस 'अदमनीय रद ! दह घोर 'आाशा बादी थे । अपने जीवन काल में ही को पूरी च्ययस्थित रूप में देखने की 'माशा रखते थे । इसमें सफलता नहीं मिली तो इस में उनका दीप नद्दीं था। 'झवइ्य दी बदद स्वराज्य को कई बपे पहले हमारे निकट ले । हम - जग जो अब पीछि रद्द गये दूं, यह उनका उत्तर-दायित्व है थक दुशुने उत्साइ के साथ फम से कम समय में इस उद्देश्य की पूर्ति करें । कोकमान्य नीकरशादी के कठोर थे, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं हे कि पद 'अरभेज़ों अथवा 'ंप्रेज़ी दाज्य डी ज्य से घृणा करते थे |




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