छोर का एक गाँव | Chhor Ka Ek Gaon
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ड
परन्तु प्रभुत्व के संघषं मे सामन्ती जात्तियो ने, विशेषकर आन्तरिक गाँवों में
ठकूरो ने, हथियार नहीं डाले हं । इसके विपरीत छोर के गाँवों की स्थिति सामन्ती
सत्ता अथवा सामन्ती अधिकार का समथन नहीं करती ओर आन्तरिक गाँवों के
समान समूह गतिशास्त्र उच्चतर वर्णों तक ही सीमित नहीं हुं वरन् सभी जातियों
और यदि कबीले हुए तो उन्हें भी परिवेष्टित करता है । यही कारण है जो आन्त-
रिक गाँवों की अपेक्षा यहाँ गाँव के राजतंत्र का स्वरूप अधिक बार बदलता रहता
हैँ और गाँव के राजतंत्र में सभी जातियों और कबीलों का सक्रिय कतुंत्व रहता है
तथा उन सब का समृह गतिशास्त्र में योगदान होता हूँ ।
छोर के गाँवों में जाति संचरना की बहुत कुछ कट्टरता नष्ट हो जाती है और
जातियों के बीच संचार पर तथा अपनी जाति से भिन्न धंधों या व्यवसायों में भाग
लेने पर अन्तरजातीय सम्बन्ध आधारित होते हे,
छोर का गाँव साधारणतः, किन्तु अनिवार्य रूप से नहीं, विभिन्न प्रजातीय तथा
सामाजिक समूहों के बीच संस्कृति के समान तत्वों की ओर विशेष ध्यान आकर्षित
कराता हे और संस्क्ृति-निर्माण की एक प्रक्रिया प्रारम्भ होती है जो भेदों को समाप्त
करती हूँ, किन्तु आवश्यक नहीं कि एक सम्मिश्रित संस्कृति को जन्म दे। उत्तर
प्रदेश के छोर वाले एक गाँव के, जिसमें कबीले और जातियाँ दोनों निवास करती
है, हाल के एक अध्ययन में गाँव में कतिपय प्रकार की ग्राम्य एकतायें देखी गई ह ।
मिर्जापुर जिले में रॉबट्टंसगंज से ३२ मील दूर हाथीनाला नामक स्थान हे जहाँ
से तीन मील पर पिपरी रोड जाती है । इस सड़क से एक मील की दूरी पर बलगा
गाँव स्थित हे। यह एक बहुजातीय गाँव हे जिसमें ५७ परिवार है। इनमें २४
परिवार मझवार कबीले के, १२ खरवार और हजाम हें। आन्तरिक गाँवों की
विपरीत जातियाँ सहभोजी हैँ और लछोहरा को छोड़ कर सभी जातियाँ परस्पर जल
ग्रहण करती हं । धातु के बतंन में पकाया भात अशुद्ध नहीं माना जाता और जिससे
जल ग्रहण किया जा सक्ता ह उससे भात भी ग्रहण कर सकते हैँ। रोटी
जिसे अन्यत्र कच्चा भोजन मानते हं इस गाँव मे पक्का भोजन मानी जाती हैँ और
रोहरा को छोड कर अन्य.किसीसे री जा सकती हुं । कवायरी ओौर सवणं सामा-
जिक क्रम में शुद्ध माने जाते हें। ग्राम से बाहर विवाह के नियम के कारण विवाहं
द्वारा सम्बन्धित नातेदार गाँव के बाहर के ही होते हुँ और ग्रामवासियों ने एक
भाईचारा स्थापित कर लिया ह और वे उत्सवों तथा पर्वो में या अपने धंधों में परस्पर
सहायता करते हुं । एक समुदाय के सदस्य एक भिन्न समुदाय के सदस्यों के लिए
नातेदारी के शब्दों का प्रयोग करते हें और वयस् के अनुरूप आदरभाव प्रदर्शित करते
है। अभिचार-सम्बन्धी एकता अधिक विशिष्ट प्रतीत होती हं क्योकि कबायली
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