कांकरोली का इतिहास [भाग २ ] | Kankroli Ka Itihas [ Part 2 ]

Kakroli Ka Itihaas ( by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कंठअभिशाली विशारद - Kanth Abhishali Visharad

Add Infomation AboutKanth Abhishali Visharad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
' जगदगुरु श्रीवल्लभाचाय २७ एक समय वल्लभाचार्य जगदीशपुरी में एकादशी के दिन दर्शन कर रहे थे । यह मदा क्री भाँति यहाँ भी एकादशी का व्रत करते थे यद्यपि यहाँ उसके उपवास ने करने का বিলাল ই | তন दिनि जवर वन्छभाचायं जगन्नाथजी की स्तुति करते हुए दशन कर रहे थे, किप्ती जानकार व्यक्ति ने उपवास की परीक्षा के लिये इनके हाथ में महाग्रमाद रख दिया। महाप्रसाद रखनेवाले व्यक्ति का हार्दिक अभिप्राय यहथा किया तो इनका त्रत भंग होगा, अथवा वह महाग्रसाद को ने छेकर उसका अनादर करेंगे। धार्मिक दृष्टि से थे दोनों बातें अपेक्षित न थीं | वसठमभाचाय इस बात को भाँव गये, ओर उन्होंने उमसविध प्रम की रक्षा के लिये एक उपाय किया | जगन्नाथजी के दशन' तथा स्तुति कर उन्होंने महात्रसाद की स्तुति करना प्रारंभ कर दिया | कहते हैं कि---बह एकादशी की समाप्ति ओर दादशी के पारण-समय तक खद़ें-खढ़ महाग्रमाद की स्तुति ही करत र्दे | अन्तमं प्रातःकाल उन्होंने जगदीश करे লুহাঁন कर महाग्रमाद पाया। परीक्षा करनेवारा व्यक्ति इस निर्विरोध धरमाचगण का देखकर गदगद होकर पश्चात्तापं करने ठगा । (विषम परिस्थिति म॑ भी क्रिस प्रकार अपने नियम की रक्षा करनी चाहिये! यह बात वल्लभाचाय ने अपने विवेक द्वारा कैसे स॒दर ढंग से समझाई, जिससे उनके इस दृढ़ आग्रह और प्रमंभीमता का उपस्थित समुद्राय पर अच्छा प्रभाव पढ़ा । ॐ परिक्रमा का उपकम--लक्ष्मणमइजी की इच्छा देखकर वल्लमाचाय पुरी से श्रीवेकटेइवर के दर्शनार्थ दक्षिणदेश में गये | इस समय लक्ष्मणभद्ठज़ी ने अपने ज्येष्टं पुत्र गमद्रप्णजी की पत्र लिखकर मार्ग में ही बुला लिया था | “गंगासागर होयके भुवनेश्वरहिं निद्वार। दशन करि जगदीश के भूउ-प्रश्न उर थार ॥ ३८॥ उत्तर श्रीजादोश सो लेख कराय दिवाय | मायावादी द्विजन सों वरिजय-पत्र नुप! पाय | ३६ । इसके बाद वहाँ “एक शास्त्र ०” श्रादि श्लोक लिख! है | अतः यह निर्विवाद है कि--वल्लभाचार्य सं* १६४४५ में पुरी पधारे ओर वहाँ शास्त्रार्थ हुआ | इस पत्र से यह श्रनुमान होता है कि--यह यात्रा सं० १५४५ के उत्तराध में हुई । $ नि०ब्वाण प्र० १५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now