चलते चलते | Chalte Chalte
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.21 MB
कुल पष्ठ :
103
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवतीचरण वर्मा - Bhagwati Charan Verma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रुपया तुम्हें खा गया 17 की घण्टी बजती है हलो गम्भीरमल जी हां पांच रुपये को पचास हजार गांठ चाहते हैं अच्छा तो पहले ढाई लाख रुपया मुझे अलग से दे दीजिए सौदा हो जायेगा। घर पर ही हूं चले आइये विराम सुना डॉक्टर यह गम्भीरमल भी मेरे ऊपर दया करने के लिए इस भयानक वर्षो में आ रहा है हंसता है पचास हजार गाठ सरीद रहा है कम-से-कम दस रुपया फी गाठ बचायेगा ठाई लाख रुपया पाने के लिये आ रहा है । बिजली कडकते की आवाज सुन रहे हो डॉदटर कितनी जोर की विजलों कड़की । इस तूफान की जरा भी परवाह न करके मेरे यहां चला आ रहा है। डॉक्टर जी हा सेकिन मैं समझता हूं कि आप मानिकचंद आराम करूं टेलीफोन पर बात करके कारबार न करूं। लोग रुपया देने आवें तो रुपया न लू हंसी अच्छा डॉबटर । सच-सच तुम इस तूफान ओर वर्षा मे मेरे यहां इस समय आये कया अपनी फीस के लिए नहीं आये हो ? डॉस्टर द्यायद आप ठीक कहते है । मानिक्चद शायद नहीं मोलह आना ठीक कहता हूं। कोई किसी पेर दया नहीं करता डॉक्टर दूसरे पर दया करना प्रकृति का विधान ही नही है । हम जो कुछ करते हैं बहें सब अपने लिए कीन ? डॉश्टर कोई तो नही 1 सानिकचंद कोई नहीं हंसी कोई नहीं । मुझे कितने दिन हो गए बोमार हुए डॉक्टर । करीब दस दिन ।
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