कबीर साहिब की ज्ञान गुदड़ी रेख़्ते और झूलने | Kabir Sahib Ki Gyaan Gudadi Rekhte Aur Jhulane

Kabir Sahib Ki Gyaan Gudadi Rekhte Aur Jhulane by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे राम का नाम ले बिस्न सुमिरन करे, _ सनकादि ब्रह्मादि का पार पावे न हद रखते. दे. राम का नाम सिव जोग छ्यानी ॥ राम का नाम ले सिद्ध साधक बने, सिव सनकादि नारद गियानी । राम का नाम ढे रामचंद दृष्टि लट्ट, गरू बसिष्ठ मये मंत्र दानी ॥ कहाँ लो कहैहँ अगाध लीला रची, राम का नाम काहू न जानी । राम का नाम ले करन गीता कथी बाँचिया सेत तब मम जानो ॥ है केसा निरगन निराकार परम जोति तासु को नाम निरंक्ार मानी । रुप बिन रेख बिन निगम अस्तति करे सत्त की राह अकथ कहानों ॥ बिस्न सुमिरन करे सिव जोग जा के धरे भने सब ब्रह्म ब्रेदान्त गाया 1 तासु का नाम कह रामराया ॥ _ कहें कबीर वह सक्स तहकोक कर, राम का नाम जो एथी छाथा। (११) एक . संत की चाल संसार ते भिन्न है सकल संसार मं चुहरु- बाजो* | (१) झादमी । (२) दिज्ञगी, भूठा सेल !




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