श्रीमदवाल्मीकिरामायण बालकांड iii | Madwaleeki Ramayan Balkand (iii)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१
र
क
श क शः सलि फिर अदा. = नः
असर्वा सर्ग २२
पेसट्ाँ सग |
( १३ )
चासटर्भो सगं ४१५--२१
राजा अम्बरीष का पुष्कर में आगमन । शन.शेप का
विश्वामित्र के निकट जा प्राण वचाते अर अम्बरीष का
अधूरा यज्ञ पूण होने के लिए प्रार्थना करना । विश्वामित्र
करा शुनःशेप के वदले अपने पुत्रों को नरपश चन कर राजा
के साथ जाने की आज्ञा देना । आज्ञा न सानसे पर
विश्वामित्र का पत्रों को शाप देना । विश्वामित्र के चतलाए
मंत्रों का जप करने से शुनःशेप की यज्ञ में रक्षा और
ब्यस्वरीप के यज्ञ की समा्ति ।
्
२८
विश्वामित्र का ओर मेनका का समागम । पीद्धु पुष्कः
चेत्र दोड विश्वामित्र का बत्तर दिशा में जा कौशिकी के
तट पर रह कर तप करना । किन्तु वहाँ भी अभीष्र सिद्ध
न होना । उनका पुनः घोर तप करना |
चौसठवाँ सग ४२८--४३३
विश्वामित्र को तपसं डिगानेके लिए इन्द कारन्भा
अप्सरा को विश्वामित्रके पास अजना । विश्वामित्र त्य
क्रोध में भर रम्भा को शाप देना । क्रोध के कारण नर
नष्ट होने पर विश्वामित्र का आगे कभी क्रोध न करने का
सङ्कल्प करना ।
एक हजार वर्पां तक निराहार तप करे
मित्र का आहार करने को वठना 'झोर उस
का रूप धर इन्द्र का आ कर विश्वामित्र
श्ौर विश्वामिन्न का उनकी अपने सा
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