पउमचरिउ (भाग-५) | Paum Chariou Vol 5

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Paum Chariou Vol 5  by देवेन्द्रकुमार जैन - Devendra Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(प्चं) चडजचरिद ब्वासोबी सन्धि १५६-१७८ लबण भौर अंदुदाका यौवगर्े प्रवेश, राजा पुथूसे उनकी कन्याओं की मेंगनीं, उसके दारा विरोध, शवंज और अकुशंकों उसपर चढ़ाई, सीतादेवोका आशीर्वाद, राका पृथुकी हार, कन्याजंसि लवण और भंकुदाका विवाह, नारद मुनि हारा रवण अंकुशकों राम और रूक्सणके सम्बन्ध बताना, दोनोंका सुनकर भड़क उठना, सीताका दोनों पुर्रोंकी समझाना परन्तु दोनों पुर्णोंका विरोष, रामके पास उनका दूत भेजना, चढ़ाई, रुक्मणका दूवकी बात सुनकर मड़क उठना, दोनोंकी सेनांबोंमें भिड़न्त, यूदका वर्णन, लक्ष्मणका चक्रसे प्रहार करना, चक्रका व्यर्थ जाना, परिचय, मिलन, युद्की आनन्वमें परिसमासि । तेरासीवीं सन्धि १७९-२०३ लवण और अंकुदका अयोध्यामें प्रवेदा, उन्हें देखकर स्त्रियोंकी प्रतिक्रिया, जनता दवारा अभिनन्दन, रामके सीताके विषयमे अपने विकार, खीताके लिए रामका जाना, घीलाका भागा, अस्नि-परीक्षाका प्रस्ताव स्वयं सीता देवी द्वारा रखा नाना, अग्ति-ज्वालाका वर्णन, उसकी विद्वब्यापी प्रतिक्रिया, कमलूपर सिंहासनके बीच सीतादेवीका प्रकट होना, सबके द्वारा सीता देवीको साधुवाद, सीता दारा दीका, रामका भूत होना, सबका उद्यानमें महामुनिके दर्दनके किष जाना, राम द्वार धर्मस्वरूप पूछा जाना, मुनि हारा वर्मका उपदेदा । चौरासीवीं सन्धि २०४-२३४ विभीषणं दारा पूरे जानेपर मुनिवर ढारा रामके पूर्व जन्मोंका वर्णन, लक्ष्मणके पूर्व जन्मका वर्णन, मयदसके जन्मसे लेकर इस




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