श्री जम्बू स्वामी चरित्र | Shree Jambu Swami Charitra k
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अम्बूस्थामी चरित्र
हैं । सर्व ही मोगभूमिवासी रोग रहित, मलमूत्र नीहार रदित, बाधा
रहित व खेद रहित होते ह ! उनफे शरीरम पसीना नहीं होता है
ब उनको कोई आजीविका नहीं करनी पढ़ती है तथा वे पूर्ण भायुके
भोगनेषषले होते है ।
बाकी ख्ियोंकी ऊंचई व भायु पुरुषों समान होती है !
जेसे करपवृक्षमें करपवेछें भासक्त होती हैं इसी तह ने अपने नियत
पुरुषोपें अनुगग रखनेबाली होती हैं । जन्म परत दोनों प्रेमसे भोग
संपदाकी भोगते हैं. सबे भोगभू मिवासी स्त्रगेके देवोंक समान स्वभावे
सु्दर होते हैं । उनकी वाणी स्वमावसे मघुर होती है, लनही चेष्टा
स्वभावत ही सुन्द होती है। वहां पृथ्वी, यक दश जातिके
करःवृक्ष होते दै । उने वे मोगमु मवासी इच्छ नुक् , नाहार, षर,
बाद्त्ि, माला भूता, क्ख भादि भोगकरी भाग्री प्राष्ठक्र
रेते है। श्षवृक्षा प्ते सदा ही मंद मंद सुरग'घत इवि
हिते रहते दे | कतरे प्रमवसे व कत्री सामध्येमे ये कशपतृक्ष
परगट हीनं है, कय इनमे पृण्णवान मानवो मनम भनुसार
रुचिकर भार १५ दान है | हथ इनको विद्र नोन १ रपवृक्ष कहा
8 । इनक) जन] दश प्रकारको होती है | (१, माग (२) वाजि-
ताग (३) भूषणाम् (५) पुष्पमालंग (५) ज्वोततेग (६) दीपांग
(७) गृहांग ८) भोजनांग (९) फात्रांग (१०) वखांग नैसे इनके
नाम है वे ही वतु प्रकट करनेमें ये परिणमन करते हैं । भोग-
भूमिवासी इन करणवूकषोंसे माप्त भोगोंको अपने पुण्पके उदबसे भाव
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