मेरी कहानी | Meri Kahani

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Meri Kahani by हरिभाऊ उपाध्याय - Haribhau Upadhyay

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हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।

विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन्‌ १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन्‌ १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन्‌ १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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--- १४ - २६-- सविनय भंग शुरू ३०- नैनी-नेख में ३१--यरबडा में संधि चर्चा ३२--युक्तप्रांत में कर-बंदी ३३-पिताजी का देहान्त ३४--दिलली का सममोता ३५- कराचो-कॉँप्रेस ३६--छंका में विश्राम ३७--समभौता-काठ में दिक्क़तें २३८- गोलमेज्ञ कान्फरेन्स ३६--युक्तप्रांत में किसानों सम्बन्धी दिक्कतें ४०--सुल्दद का ख़ात्मा ४१-- गिरप्तारिया, आईिनेन्स ओर मुमानियनें ४२--र्श्रिदिश शासकों की हु-हू ४३-बरेठी और देहरादून-जेछ में ४- जेट मे मानसिक उतार-चटाव ४५- जेर मं पशु-पक्षी ४६-- सवप ४७--मज्ञदव क्या है? ४८--ब्रिटिश सरकार को दो रुख़ी नीति ४६--छम्ब्री सन्ना का अन्त ४५०- गांधीजी से मुखाक़ात ४१-छिबरढ दृष्टिकोण ५२--डोमीनियन स्टेटस भर आज़ादी ६३--हिन्दुस्तान--नया और पुराना ४-ब्रिटिश शासन का कच्चा चिट्ठा ५५-- अन्त्जातीय विवाह ओर छिपी का प्रश्न ५६--सास्पदायिकता ओर प्रतिक्रिया ८७ --दुगंम घाटी {८--भूकस्प ५६--अछीपुर-जेल २५६ २६५ २७६ २८६ २६८ ३०२ २३१४ ३२६ ३३१ ३४४ ३५८ ३७५७ ३८६ ३६१ ४०६ ४१८ ४२७ ४२५ ४४६ ४६० ५.७५ ४८२ ४६४ ५०३ ५१५ ६२३ ८४४ ६५८४ ८७२ (दर ८६§




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