मोक्षशास्त्र अर्थात तत्वार्थ सूत्र | Moksh Shastra Atharth Tatvarth Sutra (satik)
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
868
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामजी माणिकचंद - Ramji Manikchand
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न
सोशमार्गका न्वशन प्रूणं दोने पर व्न्तमें दसवें छष्यायमें-नवसूज्नों द्वारा मोछ-
शश्च श्रपन करके श्री आत्वार्यदेवने यदद शासन पूरा किया दै ।
‰ सक्तेपमे देपनेवे शस शाखे निश्चयसम्यग्दशेन-सम्यश्छनि-सस्यक्र-
पवारितरूप मोक्तमामे, प्रमाण नय नित्ेप, जीव - श्रजीवादि सात वरर ऊच्वै मध्य
भोय् तीन तोर, चार गत्तिया, दह् द्रव्य शरीर द्रव्य-गुणा-ग्रीय--इन
सथष्ा एवरूप श्नाजाता ष । इस प्रकार धाचायं भगवातने इस शाखं ववलतात-
का भण्डार बढ़ी खूबीसे भर दिया है ।
६ “तत्वार्थ श्रद्धान सम्यग्दशेनम्' यह् सूत निन्य सम्यग्दुशत्तके लिये
है, ऐसा प० टोडरमल्लजी मो० मा० प्रकाशक झ० ६ में कहते हैं --
(१) जो सरवाये श्रद्धान विपरीतामिनिवेश रॉदित जीवादि तर्वाधोंका
श्रद्धानपना सो सम्यर्दर्शनका लक्षण है सम्यग्द्शीन लदय दै सोई 'तत्वाथेसूत्र
बियें बहा दै--
(व्वा भदधानं सम्यग्द्नम्' ॥ १-२ ॥
घहुरि पुरुपार्थ सिदुध्युपायके विनें भी ऐसें ही ऋद्या है ।
जीब्राजीवादीनां त्वार्थाना सदेव कर्तव्य ।
श्रद्धान विपरीतामिनिवेशविविक्तमात्मरुपतद्ू ॥२२॥।
याका अर्थ-विपरीतामिनिवेश करि रद्दित जीव अजीब 'ादि तत्वाधनिफा
श्रद्धान सदाफाल फरना योग्य दे । सो यह श्रद्धान श्ात्माका स्वरुप है |
दुरोन सोद उपायि दुर भये प्रगट होय है, तातें आत्माका स्वरूप है ।
चतुरादि गुणस्थान विवे गट हो है । पीठे सिद्ध अस्या विप भी सदरा-
काल याका सदूभाव रहै ह, ऐसा जानना” ।
( देदलीे प्रकार, मोत्तमाम प्राशक प° ४००-४५१ )
इस सम्बन्धे पए ४७५ चे ७० में पठ टोडरमलङ्ञी विशेष कदते हैं कि --
मुरि भ्रप्न-जो शदमस्यकं तौ शप्रतीति प्रतीति कना सम्य ६, सरत तक्षं सप्त
तश्वनिकी अ्रतीति सम्यदस्वफा लक्षण कद्या सो हम मान्यौ, परन्तु केषल्ली चिद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...