आधी रात को आज़ादी | Aadhii Raat Ko Aajaadii

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दाॅमिनिक लैपियर - Dominic Lapierre

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लैरी कालिन्स - Larry calines

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लन्दन, नए साल का पहला दिन 79427 17 इस, जाति के छह लाख अस्सी हजार सदस्यों को प्रथम विश्व युद्ध ने मौत के घाट उतार दिया। इसके साथ ही उस सपने का टूटना शुरू हुआ, जो इस जाति का सबसे प्रिय, सबसे लाड़ला सपना था-भारत............ सोने की चिड़िया...... यदि विश्व-युद्ध ने छह लाख अस्सी हजार अंग्रेज न मार दिए होते, तो भारत के सीमान्तों पर गश्त लगाने के लिए नौजवानों की पूरी नई पीढ़ी तैयार खड़ी थी। जिलों और तहसीलों के हर छोटे-बड़े सरकारी पद पर अंग्रेज आ जाते । लेकिन विश्व-युद्ध ने उनका इतने बड़े पैमाने पर भक्षण किया कि वे तौबा बोल गए। 1918 के बाद, *इण्डियन सिविल सर्विस' में अंग्रेजों की भरती दिनों दिन कठिन होती गई। अन्तत: उन्हें भारतीयों की सेवाएं स्वीकार करनी पड़ी । 1947 के नव-वर्ष दिवस पर मुश्किल से एक हज़ार अंग्रेज “इण्डियन सिविल सर्विस में रह गए थे। भारत की चालीस करोड़ जनता को उन मुट्ठी भर अंग्रेजों ने, न जाने कैसे, अपनी शासकीय क्षमताओं से जकड़ रखा था।'' हा [कि |




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