लक्ष्मी | Laxmi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीवासुदेवशरण अग्रवाल - Shreevasudevsharan Agrawal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६
स्यान पे सल कर येद के युख्पद्कूमे कदा दै-“भीश्च ते प
पत्चौ” ।---श्रर्थात् श्री श्रौर लदमी दोनों विष्णु की पतौ वा शक्तियाँ ईं ।
विराट पुष्प से एक श्रोर मन श्रौर प्राण तथा दूसरी ओर स्थूलं पञ्च भूहों का
पिकास दोता है श्र प्रत्येक रचना में ये तीनों तत्व विद्यमान रहते हैं | यही
भी-लमी का सम्मिलित रूप है । इसे दी लोक में येवल “लदमी' इस नाम
से मी पुकारा जाता है ।
लदमी का जम समुद्र के मयन से हुश्रा । इस श्राख्यान का रंदस्य भी
यददी है । जलों श्रर्थात् सष्टि के मूल कारण के श्रम्यन्तर से जो पचभूत बार
प्रकट होते हैं, उनकी सशा पुष्कर या कमल हैं । उसी कमल पर दमी जी
का दृढ़ श्रासन माना गया है ।
लदमी के स्वरूप में, जैा वद्द लोक में प्रचलित है, उई श्रमिषेक कराने
घले दिग्गज या दाथियों का भी स्थान है। ये दिग्गज तत्व देश श्रौर कालं के
प्रतीक हूं । दिगू देश काल इनका एक दूररे से विका होता हे । इनका विश्व के
साथ नित्यसम्बघ है । जिस महार्णव वे मयनसे लदमीकाजमदुश्रा, उसी
के श्रमृत जल की घारा नित्प इस विश्व में आती रदती है। यददी विश्व की
शश्वत स्थिति है | उस समुद्र को सोम का समुद्र कइते हैं । सोम ही श्रमृतटै।
वष दिग्गज के घटो में भरा हुश्ा है जिससे वे नित्य लदमी का श्रभिषेक कशते
हैं। जैसे समस्त विश्व को, वैसे दी प्रत्येक व्यक्ति की लददमी को यदद जल सदा
मिलता रहता है। इसी की श्रदत मूँदों से जीवन में हरियाली श्राती दै।
स्न चौद श्रौर घोने को लचमी का स्वरूप माना लाता है । य मी प्रतीक
मात्र दै। प्राय को सुवण श्रौर पचभूतोको वदी कहा लाता हैं। प्राण
श्रौर भूतों की स्पृद्धि दी जीवन है । यद्दी श्री लदंमी का समग्र रूप है |
इख सग्रहं की लोक कडानी “'लघमी की निवाचा” साने श्रौर चांदी के
इस प्रहीक को रकुट करती है। शरीर से किया हुश्रा परिश्रम या प्राण तत्व
ह स्च सुवर्ण दे । उसी कचन से गाँवों में रदनेवाले कृपकों के शरीर
सुशोमित हैं ।. उद्ें स्यूल चादी-सोसे की चिन्ता नहीं होती । उनकी चिन्ता
का विषय खेतों में दोनेवाले श्रनन के वे दाने हैं, थिनसे लीदन धारण किया
लाता है। उनके लिए वद्दी सच्ली लद्मी दै। रानी जिस दर को ल्पी
समभती दै, उषे इपक को श्राकपदा नहीं । यही वरति आमो का स्वास्थ्य
या स्वस्य एत टै! लदमी के स्यूल रूप की नो चाँदी श्रौर सोने में दिखाई
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