भारतीय राष्ट्रवाद और डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक विवेचनात्मक अध्ययन | Bhartiya Rashtravad Aur Dr. Bhimrav Ambedkar Ek Vivechnatmak Adhyyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
79 MB
कुल पष्ठ :
241
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की धरती पर भगवान राम और कृष्ण जैसे अवतारों का जन्म हुआ तो वहीं महात्मा
बुद्ध, सूरदास, कबीरदास, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, ज्योतिबा फुले, डॉ० अम्बेडकर `
जैसे महापुरूषो का अवतरण भी इसी भारत वर्ष की धरती पर हुआ हे।
इन महापुरूषो की चेतना व्यक्तित्व एवं विचार धारा से समाज को नई दिशा
मिलती रही हे । भारतीय संविधान के निर्माता ० भीमराव अम्बेडकर एक प्रबुद्ध
विचारक एवं सर्वहारा समाज को एक नई दिशा प्रदान करने वाले एसे महापुरूष हुये
हैं, जिन्हे भारतीय समाज में दलितों का मसीहा कहा जाता है। पीड़ित मानवता पैः °
उद्धार करने एवं दलित वर्गो को सामाजिक व आर्थिक न्याय दिलाने मेँ ड
अम्बेडकर के अथक प्रत्यनो को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल रही है।
यह सुविख्यात है कि ड” अम्बेडकर एक प्रखर वुद्धिजीवी, विद्रोही व्यक्तित्व, ¦
प्रभावशाली वक्ता, अनन्य लेखक तथा शोध विधिवेत्ता थे। इन सबसे अधिक वह एक `
अत्यंत महत्वपूर्णं क्रान्ति दृष्टा थे। उन्होने एक सच्चे खोजी के रूप मेँ मानव के
अधिकारों तथा मानव के गौरव को उच्च मानवीय सभ्यता की ओर अग्रसर करने के
उद्देश्य से स्वयं को प्रतिष्ठित किया
हमारा यह मानना न्यायोचित हे कि डॉ० भीमराव अम्बेडकर को हम भारत का
सपूत कहने का दावा करें। किन्तु इतिहास उनका सही अर्थ में एक विश्व पुरूष के
रूप में मूल्यांकन करेगा । । उनका जीवन किसी विशेष क्षेत्र के निवासियों के लिये ही
नही बल्कि मानव समाज के हर वर्ग की मुक्ति के लिये समर्पित था। उनका संदेश `
सम्पूर्ण विश्व के उन सभी स्थानों और स्थितियों के लिये अर्थ रखता है जहां
मनुष्य-मनुष्य के प्रति अन्याय एवं ऊंच-नीच का व्यवहार करता है। भारतीय
लोकसभा के केन्द्रीय भवन में भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा की स्थापना इस बात
का प्रतीक है कि भारतीय जनता तथा इस देश की सरकार भारत की समाज
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