संचालन कैसे करें | Sanchalan Kaise Karen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संचालन कैसे करें
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के सामने, टी.वी. पर कैमरे के फोकस के सामने, या हजारों लाखों की भीड़ के
सामने अगर आपके चेहरे पर घबराहट का पसीना है, अगर दिल की धड़कने
बेकाबू हैं, अगर पैर लड़खड़ा रहे हैं तो फिर आप एक अच्छे और कामियाब
संचालक नहीं हो सकते। आपके चेहरे पर मुस्कान, दिल में दृढ़ इरादा, लेकर
जब आप अपना कार्यक्रम शुरू करेगे तो शब्द अपने आप ही आप जबान पर
आकर बयान होने लगेंगे, अगर आप जरा भी हिचकिचा गए तो समझिए कार्यक्रम
की गाड़ी के वहीं पर ब्रेक लग जाएगा इसलिए याद रखिए।
जो हिचकिचा के रह गया, वो रह गया
इधर जिसने लगाई एेड वो खंदक के पार था।
चलते-चलते आपको ये भी बता दें कि आत्म विश्वास पैदा होता है आपके
ल्म से, आपके ज्ञान से और आपके अभ्यास से।
अगर आप बोलने का अभ्यास करते रहेंगे तो शब्दों पर धार लगती रहेगी ।
जैसे गाने वाला रियाज करता है, पहलवान कसरत करता है उसी तरह एंकर
को भी अपनी बोलने की कला का प्रयास करते रहना चाहिए । अगर आप अभ्यास
करेंगे तो आपके आत्म विश्वास में वृद्धि होगी- वो दोहा तो आपने सुना ही होगा .
करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान,
रसरी आवत जात तें सिल पर होत निसान।
इसलिए एकरिग की कला को सदा अपने अभ्यास में रखना चाहिए । जहाँ भी
मोका मिले इसका इस्तेमाल करना चाहिए । वरना तो वही होगा जो कहा गया है-
सुरसति के भंडार की बड़ी अपूरब बात,
ज्यों खरचे, त्यों-त्यों बढ़े, बिन खरचे घट जात।
इसलिए जितना हो सके शब्दों को खर्च करते रहना चाहिए-वरना तो फिर
सब कुछ भूल जाएंगे और उसके साथ ही खत्म हो जाएगा मन से आत्मविश्वास ।
एक अच्छे एंकर का व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होना चाहिए और प्रभावशाली
होता है व्यक्ति अपने गुणों से, अपनी प्रतिभा से।
पहली बात तो ये है कि रेडियो पर तो खैर आवाज़ का मामला है लेकिन
टी.वी. और स्टेज पर उसे अपनी वेशभूषा पर पूरा ध्यान रखना चाहिए। लिबास
ऐसा हो जो उसे सूट करता हो, उसकी खूबसूरती मेँ चार च्वांद लगाता हो, रंग
विशेष का भी ध्यान रखे, मौसम के एेतबार से कपड़ों का चयन किया जाना चाहिए।
आपकी वेशभूषा, आपके व्यक्तित्व का प्रथम दर्पण होता है । सबसे पहले लोगों
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