सत्य-संगीत | Satya-Sangeet

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Satya-Sangeet by दरबारीलाल सत्यभक्त - Darbarilal Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ तरा प्यार [ ५ भने चाहा तेए प्यार छन करनेमें छला गया मैं चनकर मूर्ख गमार | मैंने । समझा था तुन्नकों छल्ता हूँ अच समझा में ही जलता हूँ तुझको धोखा देना ही था धोखा खाना आप । जव समझा व. मन में वठा देख रहा सब पाप ॥ मेरा चर्‌ हआ अभिमान तेरी देख पड़ी मुसकान नरे चरणो पर वर्सानि टमा अश्र की धार्‌ | मैंने चाहा तेरा प्यार ॥ दे ॥ मने चाहा तेत प्या नेग आदद मिद्य तत्र सञ्च पड़ा ससार ॥ मैन 1 जाति पाँति का मोह छोड़ कर ऊँच नीच का भेद तोइ कर आया तेर पास, दिखाया तने अपना ठाठ सर्वघर्म सम-भाव; अहिंसा का सिखलांया पाठ मने पाया सलय-ममाज जिम्मशातेय ही साज हआ विश्वमय, विश्ववन्धु मँ तेय दिदमतमार मेने चाहा तेग प्यार | बस कर ६5:55 <£ ह्र




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