भारतीय राष्ट्रवाद के विकास की हिन्दी-साहित्य में अभिव्यक्ति | Bhatriya Rashtravad Ke Vikas Ki Hindi Sahitya Me Abhivyakti

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Bhatriya Rashtravad Ke Vikas Ki Hindi Sahitya Me Abhivyakti by डॉ. सुषमा नारायण - Dr. Sushma Narayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रवाद का. स्वरूप-विश्लेषण गत (सामूहिक) चेतना है --जिसकी दृष्टि समूह या सर्व के श्रम्युदय श्र प्रगति पर है! भौर वह्‌ भगतिसीले तत्व भी है । देलमद्ति रष्टीयता का सनातन स्वल्प हैं झौर राष्ट्रवाद है गौर राष्ट्रवाद उसका प्रगतिशील (ऐतिहासिक) स्वस्य हैं! 'राप्ट्रीयता तथा राष्ट्रवाद की विभित मान्य परिभाषाओं का सूध्म विवेचन करने पर, उसके विकासशील तत्वों के सम्बन्ध में निदिचित मत स्थापित्त वरना अत्यन्त कठिन हो जाता हैं । प्राय सभी दिद्वानो ने राष्ट्रवाद अथवां राप्ट्रीयदा को परिभाषा, तथा उसके वेत्वो का निरुपण झपने ढग से क्या है । जिमर की परिभाषा में, राघा कुमुद मुखर्जी की भाँति, निश्चित भौगोलिक सीमा उम राष्ट्रीयता का झावश्यक तत्व हैं। जिमर ने राप्ट्रीयता की परिभाषा की परिधि को छूने का प्रयास किया हैं, क्योकि, राष्ट्रीयता के लिये केवल भौगोलिक उपकरण पर्याप्त नही हैं जब तक विशेष रूप से राष्ट्र वना कर रहने की इच्छा न हो । राष्ट्र की सज्ञा से विहन, देश के जन समूह में पारस्परिक घनिप्ठ सम्बन्ध हो सकता हैं, तथा दो या झघिक राष्ट्रों के भी ऐसे धरनिष्ठ सम्बन्ध पाये जाते हैं। गोरद की तीव्रतम सामूहिक चेतना रे पीछे इति- हास कौ एकता तथा झतीत गौरव गान भी झावश्यक तत्व हैं । बनें ने रक्त वी एकता की भ्रपेक्षा ध्येय की एकता को अधिक महरव दिया हैं। निसन्देह, रवन की एकता का मिलन झसम्भव तथा कठिन है, क्योकि आज सभी जाहियो के रक्त भ्रापस में इतने घुलमिल गये हैं कि रक्त की पवित्रता का मिलना नितान्तं प्रसम्भव है) इसके प्रतिरिक्त स्विटजरलैंण्ड के उदाहरण से इनके मत की पुष्टि हो जाती हैं, क्योंकि वहाँ तीन जातियों के लोग तया तीन भायायें हैं और फिर भी वह एक सफल राष्ट्र हैं। बने की परिभाषा तथ्य के प्रधिक निकड हैं । राष्ट्रवाद या राष्ट्रीयठा को इस परिमाषा की कसौटी पर कसा जा सकता है । मिल के मत का समर्थन भधिकाद विद्ानी ने किया है । पूर्वजों की एकता या ऐतिहासिक समानता राष्ट्रीयता के विकास में सहायक है, इसमे सन्देह नहीं-- किन्तु अमरीका एक ऐसा राष्ट्र है जिसने इस तत्व की भी झवहेलना कर दी है । अमरीका के राष्ट्रवाद के एकमात्र ततव--*एक शासन म रहने की इच्छा' का सिद्धान्त--अन्य राष्ट्रो द्वारा मान्य होना कठिन है, क्योकि भ्रन्य देशवासियों मे इस प्रकार के धिचार नहीं पाये जाते । भौगोलिक एकना दूसरा महवपूण तत्व है, जिसकी महत्ता सिद्ध की जा चुकी है । भाषा भौर जाति की एकता अवश्य महत्व रखती है, क्योकि इसके दारां विचार विनिमय तथा घनिष्ठता सहज हो जाती है । एतिहासिर एकता तया माषा की समानता का भन्योन्याशित सबन्ध होता है । वैसे झपवाद-स्वरूप स्विटजर- लैण्ड का नाम लिया जा सकता है जहाँ तीन भापषायें राष्ट्रीय कार्य-सचालन मे महव रखती हूँ । जातीय एकता की भ्रपेशा एक शासन झयवा राजनैतिक लक्ष्य की एकता परधिक भ्रावस्यक उत्व ह \ भत मिल दास निरपित तत्व उल्लेखनीय है किन्तु इनमें १--दा० सुधोग्ध : हिर्दी कविता मे युगान्तर । पु० २३७ प्रथम संस्करण




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