भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याएँ | Bhartiya Arthvyavastha Ki Samasyaein
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
755
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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श्राणि न राजनीतिक पराधीनता से मुक्ति दिलाकर मावीः विकास वी जिम्मेदारी
राष्ट्रीय सरकार के कन्घों पर डाल दी थी 1
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत को श्रौद्योगरिक स्थिति
रूसी लेखक जो के. चिरोकोव (0, 1. 5711010४) के प्रनुतार स्वतन्त्रतां
प्राप्ति के समय शमी उपनिवेशोप व रुदतन्त्र देशों में भारत को प्रोद्योगिक क्षमता
सबसे प्रघिक थी । यहां ्रौयोगिक उपक्रमो व श्रमिक कौ सदया, सक्त प्रोद्योगिक
उत्पत्ति ब विनिर्माण दार जोड ये सूल्य+* (४४!ए८-अतेंपेटएं 0४ एएब्श पॉ3टॉएइट
कौ मात्रा तपा प्रौद्योपिक विदिधीकरण भ्रन्य विकास्तशोल कटै जाने वाले देशों से
काफी श्रधिक था । लेकिन इससे धन्य देशो का श्रत्यधिक श्रौद्योगिक प्रिछडापन प्रकट
होता है, न कि मारत के झौद्योगी रुरण की विकलित दशा का 1”!
1947 में मारतीय कृषि पिछड़ी हुई थी तथा उद्योग श्रपर्याप्त व अझपूणं रूप
से तथा सीमित दायरे मे ही विकसित हो पाए थे । नीचें उद्योगों से सम्बस्घित विभिन्न
पहलुमों पर प्रकाश डाला भा है--
ह. देश को ध्ोच्योगिक ठरँचा (150७561161 500७८१०्५८)-स्वतन्मता प्राप्ति के
समथ मारठ के श्रौयोगिक ठाचे मे निम्न उद्योगो को प्रघानता घो: चीनी, वनह्पतिं
तेल, धर॑ती वस्त्र, जूट यस्त, लोहे व दइस्फात को गार्ह, रोलिग, व रिरो्तिग तथा
सामान्य इन्नीनियरिम । 1946-47 मे मारत मे वि्री योग्य इस्पात का वाधिक
उत्पादन 94 लाख टन था जिसमे प्रवेले टिस्वो का प्रण 80१८ था। इत भकार
भ्रकेला टाटा का लोट्दे व इस्पात का कारखाना इस्पात के उत्पादन में महत्वपूर्ण
योगदान दे रह् था ॥ उसी समय सूती वस्त्र का जोट गये मूल्य (४२1४०-१५००१)
मे 46% तया बूट वस्प्रौ का 1759 स्थान था । रोजगार की दृष्टि थे मी ये ही
उद्योग प्रमुख थे । सूती वस्त्र उद्योग ने कुल रोजगार मे 44:4%£ योगदान दिया.
जबकि जूट वस्त्र उद्योग ने 22 :% योगदान दिया । उस समय उपरोक्त उद्योगों का
वुल जो गये मुल्य में 84% तया कुल रोजगार मे 86% स्थान या ।
1951 ते देश मे उपमोग्य वस्तुप्रो के उद्योगो कौ भ्रषानतता थी तेषा पूजीगत
चस्तुभो के उद्योगों का झमाव था । 1950-51 मे जोह ग्येमूल्यका 7094 प्रण
उपभोग्य वस्तुम्नो के उद्योगों से प्राप्त हुमा था । इस प्रकार देश के प्रोयोगिक ढाथे
में पभोग्थ वस्तुप्रो के कररखानों को प्रघानता थी 1 'सारत का शझौद्योगिक रचा
श्रसेन्तुतित, श्रविक्रसित, विहृत वं विपरीत कस्मि काथा।
1 € ६, ०1०, [0पप्रऽाग्15211०0 9 7018, 1973, 7. 13.
*विनिर्माण द्वारा जोड़े गये मूल्य कौ निकालने के लिए उत्पत्ति कै प्रलय मे
स इन्परटो के मूल्य, श्र्यात् कच्चे माल, ई घन व पावर कौ लागते धटायी
जातों हैं 4
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