पिया (सामाजिक उपन्यास ) | Piya (Samajik Upanyas)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पिया श
लगते हैं तो वया हुझा । अपनी भाषा में वे पडिन होते हैं । हम
देखते हैं कि जानवर दात नहीं कर सकते, विनतु ज़रा ध्यान
से उन्हें देखो तो समभ मकोगे कि वह कैसे भापामय हैं, किन्तु
जब हम ही न ममभ सके तो वह क्या करें * बेचारे ग्रमहाय
प्राणी 1“ परम आदर मे पपीटरा श्रदव-कण्ट मे लिपट गई ।
'भगवानदीन पुलक-मुग्ध दृष्टि से उस दृश्य को देखने
लगा ।
पपीहरा हटी । जमीन पर से सोने की मूठ लगी चाउयुक
उठा सी । फिर पूद्धा-'साईम क्या ग्रभी भ्रच्ठा नहीं हुआ **
“प्रच्छा है, शायद बल काम पर प्रावे।'
श्रच्छातौ भ्रव 'टा्चे' नक्र मेरे साथ चलो । भ्रस्तवल
मे इसे बाँध दो
वे दोनो चल पढ़ें ।
नाम तो उसका पपीहरा था, परन्तु लोग पुकारते थे पिया
बहकर |
पिया अस्तवल से लौटी नो सीघे ड्राइग-रूम में जाकर
कोच पर लेट रही । दाम-दासी दौड़े । “इलेक्ट्रिक फैन' खोल
दिया गया । कोई दामी जूते-मोजे उतारने में लगी, कोई सिर
का पसीना पोछने लगी ।
एवं ने व्यस्त होकर पूछा-“चाय ले भाऊँ *'
नहीं, काका कहाँ है ?
कमरे में ।'
“के हैं ?'
*जी नहीं ।
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