मजदूरी नीति एवं सामाजिक सुरक्षा | Labour Policy & Social Security
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
371
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रम पाजार दी दिशेयताएँ, श्रम थी माँग एव पूति 5
नकी कर सकन, सेविन श्र थिना धन्य साधदी की सरायता से भी पत्पादन पर
रक्ता)
2 श्रम कोश्रनिकतेपृथर नह करिया ना सर्ता (भोऽ [१ [११९५
गत णा (6 [वकणाटा) -उस्पारन क श्रम्य याघ्रना का उनफस्वागि्ो ते गृषव्
शिया जा गपदा है जैसे भूमि वा मू स्यासी नया दूजौ को पूनीपतिमेववम् किया
जा रावता है. लबिन धरम वो श्रमिव से पथ नहीं शिया जा सकता 1 यदि एक
श्यपिक श्रमना धम बैचना पाहता है लो उम स्वयं को जकिर् कायं करना परेंगा ।
3, श्रतिर धम येता रै सेष्िनि रवय कद मालिक होतार ([ताषणण्य
86119 1 चणा 201 02 कतय) 019 2११८०) श्रमिक श्रपदा श्रम बवता
है। बढ प्रपन मो नहीं वेदता तवा जो भी गुर थे शुशसवा उसमे दान हैं, उपदां
यह मालिय होता है । श्रम पर हिया गया विनियोग (प्रशिलश ये सता) इस
दृपिद में महूत्यपूर्गं होगा है ।
4, श्वत गाशवान है (1.०४ [9 0९1201८} धरम ही एक ऐसी
साधन टै जिनका गषयनरीं तिपि जा मक्ता । पदििण्क श्वमिक धक् दिनि यायं
नहीं अरता है तो उसका उस दिन का श्रम सदय हे लिए सपा जाता है । ठगी
फर्श श्रमिक धपना श्रम बेचने ये लिए तंयार रहता है ।
5 श्रमिक बी शौदाकषारी रक्ति दुद (1 गण्याः ॥०५ 101 १९३८
तदय एण्कला) -- धमि परएना धरम येमता है तथा श्रम ते प्रेत एँजीपति
हात हैं। माजिगों की तुलना में श्रमिक वी. पौदा करने वी दोति पमजोर होती
है बयोदि श्रम की प्रति नाशवाउ दै, बहू प्रतीक्षा मह्ीं बर पवता बह घाधिय
दृष्टि हो दु्बंड होता है, वह प्रशानी, प्रशिक्षित व पनुमवषटीन होना है । प्रग मटन
दुर्ग होने हैं, वेरोजगारी पाई जाती है। इग्दीं बातों वे बारग ध्रमिरा तो निम्न
मजदूरी देवर पूँजीपति उपबा शोपण बरने हैं
6. धरम की पूर्ति में सुरस्त बभी करना एस्मंथ महीं (5901४ ०६ ।900एव
एमा 7० 9८ ८ 21९0 धिाएट्पंविडट हु ) मजदूरी मं कितनी ही बसी कर्पोन
बरदी जाए श्रम की धूति कर्त पटी नदी जागती । श्रम थी मूर्ति से तीन रूपा
मवमी की जो सकती दै-जतसस्यां को यम बरता, बार्टमता पे पमी कना
तथा श्रपिफी वो एके ष्यद्भावते दूगरे ध्यवताय म स्वानान्तत्ति कृद्नावरन्नु एनम
शाप सवया ।
7 भमवूंजीते षम् उत्पादक (1.४0०0८ 191८ फाएतैएटपट षद
सपधा) धद को प्रपित उलादप हुतु पूंजी जा सहारा सेना पढ़ता है । पूँजी की
हुलना में श्रम बम उदादव होता है । सशोन मे मधिक उत्पादन सममय हुवा है
8 ध्म पूँगीऐ बस तिशौ (षण्णा 19 1९५१ पणार पीजित
स्मय) -- धम मावीप सान होते के नर बम गठिनीत होता है। यह
वातावरण, पंगत, प्रादय, रुधि, पर्स, साया पाड़ि तरदों हे प्रमादित होता है
जब पूंजी नहीं
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