अलौकिक शाक्तियां | Alaukik Shaktiya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : अलौकिक शाक्तियां  - Alaukik Shaktiya

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

गोविन्द सिंह - Govind singh

No Information available about गोविन्द सिंह - Govind singh

Add Infomation AboutGovind singh

स्वेट मार्डेन - Swett Marden

No Information available about स्वेट मार्डेन - Swett Marden

Add Infomation AboutSwett Marden

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जाग्रत कर सकते हैं । इमर्सन का कथन है, मनुष्य अलौकिकं शक्तियो का मडारहै। इसी भडार के बल पर वह जल और नभ की सर कर रहा है । कया यहू काम. कम अलौकिक है ! मचुष्य अपनी अलौकिक शक्तियों का मालिक है। ग्रह दुःख की वात है कि हममे से अधिक इनको जानते ही नहीं हैं। वह हमारे में ही सुप्त पड़ी हुई है। उनको जाग्रत कर ही नहीं पाते हैं। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हमारी कामनाएं पुरी नहीं हो सकती हैं। हम केवल सपना ही देखते रह जायेंगे । कामनाएं घरी-की-घरी रह जायेंगी । कया कामनाएं हैं आपकी ! उन पर सोचें और आप निंदचय ही उनको पूरा कर सकते ह! अपनी ईश्वर प्रदत्त अलौकिक दाक्तियीं को जाग्त करिये । तव आप देखेगे कि वह पुरी हो रही हैं। साकार हो रही हैं । यह सत्य है। इसके लिये आपको भाग्यवादी नहीं है । अपनी शव्त्तिका प्रयोग करना पडेगा ! आप अपने बल पर सव कुछ पा सक्ते हैँ । यह्‌ एक न्नुव -सत्य रै \ कामनाएु अवद्य पुरी होती रै \




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now