फ़्रांस की श्रेष्ठ कहानियाँ | Frans Ki Shreshth Kahaniyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Frans Ki Shreshth Kahaniyan by प्रास्पर मैरीमी - Praspor Marimi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रास्पर मैरीमी - Praspor Marimi

Add Infomation AboutPraspor Marimi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लेखक--प्रास्पर मेरीमी 1] १३ वह लगभग दस रुपये की थी । उसने इस बात को बड़ी बारीकी से ताड़ लिया कि उसे देख कर नन्हें फारचुनेटो की श्राँखें चमकने लगीं । घड़ी की चेन को पकड़ कर वह उस घड़ी को दिलाने लगा झौर बोला “देखो, बदमाश ! जिस समय यह घड़ी तुम्दारे गले पर पड़ी, हुई लटकेगी, उस समय तुमको सचमुच बड़ी खुशी होगी। तुम मोर के समान खूच्रसूरत बम कर पोर्टों चेचियो की सड़कों पर झकड़ कर घूमोगे | उस समय लोग तुमसे वक्त क्या बजा है ?' श्यौर तुम उन्हें यह जवात्र दोगे, मेरी घड़ी को देखो” ।”” “जब में बड़ा हो जौउँगा, तब मेरे चाचा, जो एक बड़े श्रफ़सर हैं, मुझे एक घड़ी देंगे |” “हों, लेकिन तुम्दारे चाचा के लड़के के पास तो एक घड़ी है... सच पूछो तो चद्द घड़ी भी इसके समान सुन्दर नहीं है...इतने पर भो चह्द तुमसे बहुत छोटा है ।” बालक ने लम्बी साँस ली | “ग्ुच्छा बतलाद्ो, छोटे भाई, क्या तुमको यह घड़ी पसन्द है १” फारचुनेटो कनखियों से घड़ी की शोर इस प्रकार देखने लगा, जिस प्रकार बिल्ली को समूचा सुर्गी का बच्य दिखलाये जाने पर, वदद उसे सतृष्ण नेत्रों से देखने लगती है । लेकिन बिल्ली की टिम्मत उस पर पंजा मारने की नहीं होती, क्योंकि बह यद समकती है कि उसके साथ मज़ाक किया जा रहा है घोर चद्द थोड़ी-थोड़ी देर में निराश-पी होकर स्यपनी उघर से इसलिये इृटा लेती है कि कहीं वह इस लालच में फेंस न जावे । चरने पर भी वह चरायर श्पने श्ोठ चाटती रहती है ध्रपने मालिक से यह कहना चाहती है-- यह कैसा निदंय समज्ञाव है !' ऐसा प्रतीत दोता था कि मेजर गम्बा उसको सचमुच घड़ी देना चाहता है । फारचुनेटो ने उसे लेगे ये लिये श्पना हाथ नहीं चद्ाया;




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now