हिंदी संतकाव्य में प्रतीक विधान | Hindi Santkavya Me Prateek Vidhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
444
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सन्त साहित्य में प्रयुक्त प्रतीक
(क) मावात्मरु रहस्यपरक प्रतीकू-{१) भात्मा परमात्मा
में एकता प्रदशित करने वाले मग्धं भाव के परतीक--
(१) दास्य भावके प्रतीक, (र्) सख्य माव के प्रतीक (३)
वात्सल्य सएव के प्रतीक, (४) दाम्पत्य माव के प्रतीक--
(क) पूरवानुराग- एक्त श्रान्तरिक विश्वासं (ल) मिलन की
उत्सुकता, अ्रारुलता श्रौर विरह माव (ग) मिलन (घ)
आध्यात्मिक विवाहोपरान्त श्ानन्दोल्लास्त । (२) दिनचर्या
एव जीविका के विविच क्षेवो से गृहीत प्रतीक--जुलाहा,
बनजारा, बुम्हार, बाजीगर, बटो, कायस्य, व्यापारी,
किसान । (३) मानवेनर प्रकृति से गृहीत प्रेमपरकं प्रतीक--
चातक, चकई-चकवा, सीन, हस, दीपक-पतग । (४) जड प्रकृति
से गृहीत प्रतीक । (सं) तात्विक या दार्शनिक प्रतीक --द्रहमा-
परमतत्व--(१) ब्रह्म का निर्गुण रूप, (२) मक्ति मार्गीय
ढंग पर ब्रह्म का संगुणात्मक रूप--राम, हरि, (३) यौगिक
शब्दावली (प्रतीकात्मक् शैली) द्वारा ्रह्य निरूपण शब्द
ब्रह्म-प्रोकार शब्द, शून्य (४) माघुयं माव के ब्र्वाची
शब्द प्रतीक (५) व्यावसायिक शब्दों के माध्यम से ब्रह्म
निरूप 1 जीवात्मा--जीवात्मा भौर परमात्मा का
सम्बन्ध, (१) चेतन प्रतीक, {२} मानवेतर चेतन प्रतीक,
(३) मानवेतर अचेतन प्रतीक । साया-(है) सानवीय चेतन
प्रतीक, (२) मानवेतर चेतन प्रतीक, (३) मानवेतर
अचेतन प्रतीक । जगत 1! (ग) साधनात्मक रहस्यपरक
'पारिमा धिक भ्रतोकं (योगिङ प्रतोक) । (१) यम, (र) नियम,
(३) प्रान (४) प्राणायाम (५) प्रत्याहार (६) धारणा (७)
ध्यान (८) समाधि। योग के प्रकार--मत्रयोग, ज्ञानयोग,
हछयोग, राजयोग, सहजयोग 1 (घ) सख्या वाच प्रतीक ।
(ड) धिपयंय भधान प्रतीके - उलटवां ती 1 उलटवांतियो का
वर्गीकरण (१) योगपरक उलटवांसियो में प्रतीक, (२)
तात्विक उलटवाँसियों में प्रतीक योजना-{क) मानवीय
सम्बन्धों के माव्यम से प्रतीक योजना, (ख) मानवेनर
भ्राणियो भ्रौर वस्तुप्रोके माध्यम ते प्रतीक योजना, (३)
उललटबासियो में विरोध पलक झल कार प्रधान प्रतीक योजना
{४} उलटबासियो ये भ्रद्मुन रस प्रधान प्रतीक योजना, (५)
मातेव शरीर तथा सवार स सम्बन्धित प्रतीक, {६)
उपदेशपरक भ्रतीक । निष्क्पं !
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