विश्व की कहानी | Vishw Ki Kahani

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Vishw Ki Kahani  by कृष्ण वल्लभ द्विवेदी - Krishn Vallabh Dvivediश्रीनारायण चतुर्वेदी - Srinarayan Chaturvedi

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कृष्ण वल्लभ द्विवेदी - Krishn Vallabh Dvivedi

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श्रीनारायण चतुर्वेदी - Srinarayan Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| दि (० लंबी श्र घुवों के पास की रशिमियाँ छोटी होती हैं । धिक मी तक यह नहीं जान पायें हैं कि इतना सूदम होते हुए श्राकाश की बातें तक प्रायः एक-सी बनी रहती हैं । सौर वायु-मंडल में ये बादल के समान जान पड़ती होंगी । श्रन्य उ्यालाएं “उद्- गारी ज्वालाएँ” कहलाती हैं श्रौर ये कलंकों के आस-पास से उठती हैं । शांत ज्यालाश्ों की द्रपेक्ता ये बहुत श्रधिकं व्वमकीली होती हैं श्रौर बड़े वेग से ऊपर उठती हैं । कभी- कभी ये इतने वेग से उठती हैं कि घंटे-डेढ़ घंटे पाँच लाख मील ऊपर चली जाती हैं वर्ण-मंडल के बाहर सूय का कॉरोना या सुकुट है । यह नियमित श्राकार का होता है श्रौर सूयक प्रकाश- मंडल से बीस-पचीस लाख मील ऊपर तक फेला इच्चा देखा गया है बराबर सव-य्रहणों के नियम फ़ोटोग्राफ़ लेते रहने इतना पता लगा है कि कॉरोना का स्वरूप भी ११ वर्षीय सू्य-कलंक-चक्र के साथ बदलता रहता हे | कम कलंक समय में सूर्य की मध्य रेखा के पास कॉरोना की रश्मियाँ कलंक के समय कॉरोना का श्राकार प्रायः सोल रहता है | ्रभी तक पता नहीं चल सका है कि क्यों ऐसा होता है । कॉरोना का घनत्व द्रति सूदम होगा । १८४३ म॑ एक पुच्छल-तारा कॉरोना को चीरता हुआ निकल गया | पुच्छल.तारे का वेग उस समय ३५० मील प्रति सेकंड था। इतने प्रचंड वेग से चलने पर भी कंगना के कारण पुच्छुल-तारे को न कुछ सकावट मालूम हुई शोर न उसको कोई चति ही पहुंची । एफ प्रसिद्ध वेज्ञानिकर का ्रनुमान है कि कॉरोना का घनत्व इतना कम है कि प्रत्येक पंद्रह घन गज़ में केवल एक सूदम कण होगा | वैज्ञानिक भी कॉरोना फ्रिस प्रकार इतना अधिक चमक सकता है | सब-ग्ररण में वणुमंडल श्र कॉरोना से लगभग सप्तमी की चाँदनी इतना प्रकाश श्राता है अभी तक कॉरोना का. फ़ोटोग्राफ़ केवल सर्व सूर्यग्रहण के समय ही खींचा जा सकता धा, परन्तु हाल्लमे (मई १६३६ में ) घ्राफ़ेसर बरनड लॉयट ने एक मापण दिया _ है, जिसमें बिना श्रहण के ही कॉरोना का फ़ोटोग्राफ़ लेने पिक-दु-माइदी वेधशाला कर ` यह वेधशाला पिरनीज़ पर्वतमाला के एक दिमाच्छादित संग ` 1 पर स्थापित ६। य्यंका वादुमण्डल इतना यच्छं दभि यसे विना मरदण केहीसू्ैके वोरोनावाक्षोधे खींचा जा सदा हे (सबसे उपर ) पिव-दु-मारदी शिरूर वा दुश्य । यहाँ से चढ़ाई शुरू होती हैं । एक ज्योतिषी दल उपर शिखर का शर जा रहा (वीच में ) लगभग दु ००० फ्री न कर




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