कर्नल सुरेश विश्वास | Kernal Suresh Vishwas

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Kernal Suresh Vishwas by ब्रजेन्द्र सिंह - Brajendra Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नाथपुरका विश्वास वंदा । बरावर धेय्यपूवक ठड़ते रहे । यह कुछ कम गौरवकी बात न थी कि उन्होंने परोपकार और धर्मके लिये ऐसी आश्चर्यजनक बातें कर दिखाई । अन्तमें उनके प्रयत्नसे उस परगनेंमें नीठवाठोंके अत्याचार बन्द हो गये । इसमे सन्देह नह कि मलेरियाने वहँके निवासियोंका नाश कर दिया हे । तथापि शान्तिपुर ओर किसनगंजके ग्वाढा जातिके लोग छादी चलानेमें अब भी बहुत प्रसिद्ध हैं । इसका परिचय भी उन्होंने कई बार दिया है । वहाँके * वोदे * ओर “ विशे” नामक डाकुओंके किस्से अब भ मी मशहूर हँ । नदियाके याद्धाआमस रामदास बाबुका नाम भा बहत प्रसिद्ध हैं । इनके शारीरिक बठका कुछ ठिकाना न था । अपने समयके ये भीम ही थे। नदिया तथा वहाँके निवासी इस प्रकार सर्वगुण- सम्पन्न रहे है २-नाथपुरका विश्वास वंझ । ना नदिया परगनेका एक छोटासा गोव है । यह इच्छामती नदी पर बसा हुआ है, ओर किशनगंजसे केवठ १४ मीठकी दूरी पर है । पुराने समयमे यह नदियाके महाराजोकी राजधानी था ओर अवं भी परगनेका एक मुख्य स्थान हे । यह कोई बड़ा ओर प्रसिद्ध गौव नह है, तथापि नाथपुरके कुछीन विश्वास घरानेके आदमी यहाँ पर सदेवसे रहते आये हैं, और अपना गौरव पहलेहीकी भौंति स्थिर रखते आये हैं । उन ठोगोंकों अपने कुढीन, तथा सबका नेता, होनेका ठेरामात्र भी गवं नहीं हं, ओर वे भुठकर भी अपनी झाक्तियांको आड- म्बरी रूपसे नहीं दिखलाना चाहते । इतना होने प्र भी उनका नाम चारों ओर प्रसिद्ध है । वे बड़े ही श्ञीठवान, उदार, दानी तथा धार्मिक सज्जन हैं । उनका यश बालूकी भीतके समान अल्पकाठस्थायी नहीं बल्कि हिमालये समान अचल और विस्तृत है। है




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