शिक्षण - कला | Sikshan Kala

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यदुवीर प्रसाद - Yaduveer Prasad

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सूर्य भूषण लाल - Surya Bhushan Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० शित्तण-कला प्रभावशाली पाठ का फल कभी कभी ऐसा भी होता है कि एक ही बार किसी चीज़ का देखें तो वह बहुत दिनौ तक स्मरण रहती है और कोई चीज्‌ दा चार बार देखने पर भी याद नहीं रहती । जैसे एक लडका पहले-पहल गंगा नदी देखे तो शायद वह उस द्रश्य को बहुत दिनो तक याद्‌ रखेगा । पर अपने गोव की करई काटी छोटी चीज़ों को बार बार देखने पर भी कभी कभी उन्हे भल जाता है। इसका कारण यही है कि गंगा नदी का द्रश्य अन्य चीज़ों के द्रश्य से अधिक प्रभावशाली है 1 इसलिए शिक्षक के चाहिए कि वे अपने पाठ को प्रभाव- शाली बनावे जिसमें वह मानस पर भली भाँति अंकित हो जाय और आवृत्ति कराने पर वह श्रौर भी द्र हो जाय । साहचयं का नियम जब हम राम और श्याम को बार वार पक दही साथ देखते है तब किसी समय राम का अकेले देखने से भी श्याम का स्मरण आपदहीश्रापदहो जाता है । किसी सित्रके साथपकदही कोटरी मे बहत दिनं तक रहने के बाद उस मित्र के चले जाने पर वह काठरी मित्र की याद दिलाती है । और भी काला रंग कहने से उजले रंग की भी याद आती है । दुःख कहने पर सुख की भी याद आ जाती है । मानस के इस नियम के साहचय्य का नियम कहते हैं । शिक्षक पाठ देते समय इस नियम के याद रखें और अपने पाठ में इससे काम ले । जैसे पटने के बारे में पढ़ाना है तो लड़कों के इन बातों की याद दिलाने का भी उद्योग करना चाहिए | ` *& त रस सर सदर यू सादे फिगर




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