श्री अज्ञानतिमिरभास्कर | Shree Agyantimirbhaskar

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Shree Agyantimirbhaskar by आत्मानन्द - Aatmanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) झनन्य ग्म ठ, अने तेमनं जीवन गरु नक्तेमय ठे. भावा केट- ताएक शिष्य वर्भना गुणोने छने ते स्वगैवास पूज्यपादना ते- खन आवृत्ति करवानो भा समय अव्यो >. अने तेमना छपदेडा शारा सोकोमां तेनो प्रसार करवानी पण उत्तम तक मती ठे. भ्रा प्रय प्रथम श्रा दादेरना रदेनार मरडुम गुरुराजना परम ज्ञक्तोनी बनेली श्री जैन दितेच्खु स्नाए बार पामेलो इतो जनी एक पण कोप दामां नदीं मलवार्थ। मरदुम गुरुराजना परिवार मंडतन आज्ञा थवार्थ रने ते सन्नाना भरागेवाम सज्नासदोनी परवानगीथ्री झा बीजी आवृत्ति सुधारा साथे अमेोए वहार षाडेती छे. अआ बीजी आवृत्तिमां जुदा जुदा विषयोना जाग पाम झने जे जे वैदिक प्रमाणो अर्थं रदित दतां तेमना भर्थदशौवी ग्रंधना स्वरूपने शोन्नाव्यं छे. ते साथे वाचकोने सगमता थवा- ने विषयोनी अनुकमणिका पण आपी गे रा ग्रंथ आद्यंत तपासी झापवामां एक विषान्‌ सुनि मदाराजाए जे श्रम लीधो ञे तेने माटे भा सना झंतःकर- र्थी आचार माने >, मर॑यनी शुश्ता अने निदोषता करवामां सावधानी राख्या उतां कदि कोऽ स्थते दृष्टिदोष के प्रमाद स्खत्रना थर दोय तो तेने माटे मिथ्या उप्त 3. संवत २९८६१. वे वन । श्री आत्मानंद्‌ समा,




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