जैन धर्म का मौलिक इतिहास | Jain Dharam Ka Moulik Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
752
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इ७७
नियतिवाद «००
साधना का चतुर्थ वर्ष ^ १७५७
गोशालकं का शाप-प्रदान ३७८
साधना का पंचम वषं ५.५ ३७६
झनाये क्षेत्र के उपसगे .. = ३८१
साधना का छठा वषं .“ = ३८
ग्यंतरी का उपद्रव .„ ~“ ३८३
साधना का सप्तम वषे «न»... ० रे
साधना का श्रष्टम वषे = == रेप
साधना का नवम वषं = न दे
साधना का दशम वषं - ३०८५
साधना का ग्यारहवां वषं ... ,.. ३८७
संगम देव के उपसगे .. ^ इष्ण
जीर्ण सेठ की भावना .. .. ३६१
साधना का बारहवां वषं : चमरेन््र द्वारा
शरग-ग्रहण ..„ .. ३६१
कठोर भ्रभिग्रह = =+ इ
उषासिका नन्दा की चिन्ता र त :
जनपद मे विहार ~+ = देहर
स्वातिदत्त के तात्त्विक प्रश्न ... ..... ३8६४
ग्वाले द्वारा कानों मे कील ठोकना = > ग
उपसगं श्रौर सहिष्णुता ~ ~ ३६६
छद् मस्थकालीन तप .. „~ ३६६
महावीर की उपमा ,. ,,„ ३६७
“केवलज्ञान ~ ..“ ३६७
प्रथम देशना न , ५ हः
मध्यमापावा मे समवशरण ल न द
इन्द्रभूति का भ्रागमन = ` =+ इद
इनदरभूति का शका-समाधान ०० ..“ ३६६
दिगम्बर-परम्परा की मान्यता म अनः ह
तीथंस्थापन -.. „=“ ४०२
महावीर की भाषा ... „.. ४०२
केवलीचर्या का प्रथम वर्ष न... ..... 'इं०३
नन्दीषेण की दीक्षा = त कन
केवलीचर्या का द्वितीय वर्ष ~ ~ र ४
ऋषभदत्त प्रौर देवानन्दा को प्रतिबोध ... „ ४०५
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