शालोपयोगी जैन प्रश्नोत्तर भाग १ | Shalopayogi Jain Parnotar Volume-1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८) भश्च
उत्तरः
(६) प्रश्नः
उत्तरः
(१०) प्रश्नः
उत्तरः
(११) प्रभः
उत्तरः
(१२) प्रः
उत्तर!
(१३) परशः
उत्तरः
(१४) परश्च
उत्तरः
(१५) प्रश्न
उत्तर
(१६) भन्न
उत्तरः
( & )
शरीर में जीव किस जगह है ?
सारा शरीर में ( सर्वाग में ) व्याप्त है.
किस मिसाल.
जैसे तिल में तेल.
जीव मरता हैं या नहीं ?
जीव कभी मरता नहीं हैं,
जव मरना मायने क्या?
शरीर में से जीव का चला जाना या जीव
व काया का एक दूसरे से झलग होना.
जीव शरीर को छोड के कहां जाता है ?
दूसरा शरीर को प्राप्त करता हें.
सब जीवों को दूसरे शरीर में उत्पन्न होना
पड़ता हैं ?
जो जीव सिद्ध होते हैं वे
उत्पन्न होते नहीं हैं.
जीव लोक में ज्यादे हैं या अलोक में ?
लोक में जीव अनंत हैं अलोक में सिफ
आकाश दी द्रव्य है वदां जीव नदीं है,
लोक में रेवा कोई स्थन हैं कि जहां कोई
जीव नहीं है ?
सुई के अग्रभाग जितनी जगड भी, इस
लोक में ऐसी नहीं है कि जिसमें जीव न हो,
जीव का दूसरा नाम क्या 1
झत्मा,
७,
दूसरे शरीर में
(१७) 'प्र्न। ' डाथी का आत्मा बड़ा है या चींटी का ?
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