पंकज और पानी | Pankaj Aur Pani
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
रेणु बालिका है, सयानी हौवर सव समभ जाएगी |
बावा नै मित्तिर महाशय फी बाड़ी पर जाकर जामाता के पव पकड़
लिए 1 बिंगड़ल बेटी की श्रोर से क्षमा माँग रहे थे बाबा । बावाने कहा.ः
रेणु बच्ची है, मित्तिर महादाय ! पन्द्रह बरस की भी नहीं हुई है। कुछ
दिन के लिए झाप धैर्य धारण कीजिए । सयानी होकर मेरी रेखु सब समझ
जायेगी । भ्रापका घरं श्रवश्य वसाएगी मेरी रेणु । श्राप मन मला मत्त
कर 1
कई दिन पीछे रेरा दीदी के घर से अपने घर लोट झ्ाई। श्रौर फिर
सखी-सहेलियों से माँग-माँग कर नानी की कहानियाँ पढ़ने लगी । राजकुमार
फिर राक्षस से युद्ध करने लगा । राजकुमारी को कारावास से मुक्त करने
के लिए । एक बार फिर से वह मित्तिर महादय को भूलती जा रही थी ।
समित्तिर महाशय भले ही उसे न भूल पाए हों । हाँ, वे बीच-बीच में उस के
घर को चक्कर लगा जाते थे । श्रौर उनके घ्राने का समाचार सुनते ही रेणु
कमरे के किवाइ बन्द करके छुप जाती थी ।
अपने घर में भी श्रब रेशु के दिन ही कट रहे थे एक प्रकार से । बाबा
नात-बात में उस पर बिगड़ बैठते थे । बड़े भैया भी । भाभियाँ ताने मारती
थीं । कहती थीं : उपन्यास पढ़ने थे तो तुम मित्तिर महाद्यय की बाड़ी में
क्यों नहीं रहीं ? यहाँ खाश्नोगी तो काम करना पड़ेगा ।” रेणु छुप-छुपकर
रो लेती थी । किन्तु घर का काम उससे नहीं होता था । काम करना उसको
श्राता ही नहीं था । किसी ने उससे कभी वुछ काम करवाया ही नहीं था
इसके पूर्व ।
दो-चार बार वेह दीदी के पास गई। घर के लोगों सो ऊब कर। किन्तु
दीदी ने उसको समभाते-समशकाते सुबद्ध से राँक कर दी । वहूं कहती रही :
“पागल सतत बन, रेरु ! तेरे जैसा राजा-घर किस-किसको मिल जाता है
री? दो दिन में जी लग जाएगा । और फिर हो जाएँगे लड़के-बाले । सारे
संसार की सुध भूल जाएगी तु । अपना घर बसा बे, रेणु ! भित्तिर महाशय
का क्या ठिकाना ? श्रचानक चल बसे तो सारा घन सूसरों का हो जाएगा ।”
रेणु ने दीदी के पास जाना छोड़ दिया । वह मित्तिर सहाधाय का नाम
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