लाला हरदयाल के स्वाधीन विचार | Lala Hardayal Ke Swadhin Vichar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : लाला हरदयाल के स्वाधीन विचार  - Lala Hardayal Ke Swadhin Vichar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नारायण प्रसाद अरोड़ा - Narayan Prasad Arora

Add Infomation AboutNarayan Prasad Arora

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लाला दरद्याल 3 ध श्मनेकों अत्यन्त मह्वपूरण लेख छपे हैं । परन्तु हमारे दुर्भाग्य से वे अप्राप्य हैं । यदि उनके साथ उनका कोई सेक्रेटरी होता, तो उन लेखों की सं्रह आज भारत की निधि होता सन्‌ १९०८ में उनके लेख पंजाब के उदू' समाचार पत्रों में ग्राथः निकले थे । उनमें से अधिकतर पंजाब के भरसिद्ध शायर और क्रान्तिकारी नाला लालचन्दं फलक मे अपनी बन्देमातरम्‌ बुक एजेन्सी” से पुस्तकाकार छाप दिये थे । जो लेख पुस्तकाकार में छपे थे थे थे थे ।-- १ कोमी तालोम, २ कौमें किस तरह जिन्दा रहती हैं, ३ सरकारी मुलाजिमत, ४ मज़ामीन दरदयाल | इनके झलावा भी अनेके लेख निकले थे । परन्तु बे कहीं एकत्रित होकर नहीं छपे । उनके कुछ उर्दू के लेख कानपुर के “कृष्ण में छुपे थे । अँग्रेजी में उनके लेख श्री रासानन्द्‌ चटर्जी के मासिकपन्र 'माड़ने रिव्यू” में दी अधिकतर निकलते थे + कुलं लख 'बैद्क मेगज़ीस' में भी सिकले थे । साल! हरदूयाल के कुछ अँग्र जी लेखों का संप्रह काशी से एएप00टू8 0६ 1,818. ्मचन्छथय के नाम से प्रकाशित हुआ था | लालाजी के ९ लेखो का अजुबाद्‌ करके इन पियो के लेखक ने “लाला हर- दयाल कै स्वाधीन विचार नामक एक १०० प्रष्ठ की छोटी सी पुस्तक प्रकाशित की थी । हिन्दी में लाला ्रदयाल के विचारों की यह पहली ही पुस्तक थी | इस पुस्तक की भूमिका स्वर्गीय गणेश शंकर जी विद्यार्थी ने लिखी श्री । इस पुस्तक का दूसरा संस्करण सन्‌ १९९९ में प्रकाशित किया गयां भौर इसमे १५ लेखी का अनुबाद करके पष्ठ संख्या ९००० ऊपर कर दी गई थी | दरद्याल जी के कुछ लेखं लाला लाजपत राय जी के 9601८ नामक साप्ताहिक प्रत्र में भी निकते थे । ये




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now