श्रीपाल चरित्र | Shreepal Charitra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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No Information available about मूलचंद किसनदास कपाडिया -Moolchand Kisandas Kapadiya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीपाल-यरित्र-1
भी जब 1
तब जिनवर-थुति छागो करण, जय जय जन्म.जरा मवहरण ।
जय जय उदित जोत जिनेश्च, जय जय पुक्तिवधु परमेश ॥५९॥
जय चय क्रियाङ्पत गुणमेड, जय अतिशय चवतीन्न प्रचंड |
तीन ठोककी शभा ताहि, कोऊ ओर न उपमा आहि ॥६०॥
सै ८ -
जय जय केवर णाणपयाक्त,. जय जय नि्नडिन भवत्रा |
जय जय मान रहित जिनदेव, सुग्नर बुर करं तुम सेवर ॥६१॥
जय जय जय् जिनस्तुति करेय, वार तीन प्रदक्षिणा देय ।
नयो प्रत्यक्ष खत दुख मजिगयो, मनव चक्राय खी अति भयो ॥६२॥
गौतम स्वामी गणघर आदि, नमस्कार कियो चप ताहि!
जिष्टठां अभ्िकानको साथ, वंदन तक्षं करो वनाथ ॥६३॥
गौर छुक तहां जुरे जो आय, समाधान तिन पूछो राय |
ताके इृदय न बच कुमाव, नर कोें तहां बैठो राव ॥5६४॥।
विवि याद ~
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