सात नयों का थोकड़ा | Saat Nayo Ka Thokda

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Saat Nayo Ka Thokda by भैरोंदान जेठमल सेठिया - Bhairodan Jethmul Sethia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शयो का थोक - (१४) करिया करे उसो को पृण षतु क्ता दे, जैसे पानी पे भरा हुआ स्त्री के-रिरपर जलाहरणरूप चेष्टा करता हुआ हो उसी समय उस को घट (घडा) कहता ह किन्तु घर के कोने में पड़े हुए घट को घट नहीं मानता है,एऐसे ही जब जीव सब कर्मी का क्षय कर के सुक्तिक्षत्र में विराजमाम हो तब ही उसे को सिद्ध कहता है 1 '४ लक्षणद्वार, णेगेहिं माणेहिं मिणइत्ति, णेगमरस य निस्त । सेसाणेषि मयां, लक्रखणभिणमो सणद्‌.वोच्छं ॥॥ सेणहिअपिंडिश्मत्थ, सेगहवधणे समासो वित्ति ।. दंचह विणिच्छियत्थ, वचचहारों सव्वदृव्येखु ॥ र॥ :पचुप्पनरगाही; उज्लुखुओ णयविही सुणेयव्वो ।. -ष्च्छई विषेसितरं, पच्चव्पप्णे णश्मो सदो ॥६॥ ` ` घत्यू गो सेक्रमणं, दोह अत्रत्यू नए समभिखूटे । ˆ`. चैजण-अत्व-तदुभये, एवंभूओ विसेसेह ॥४॥ ˆ. - (भनुयोगद्वासूंतर) १ नेंगम नय सामान्य विशेष तथा उभय प्रधान चातु को मानता हैं । र संप्रहदनप सामान्य प्रधान वस्तु को मानता है पधा सत्‌. जगत्‌। ३ व्यवदुररनय फियोप




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