विषपान | Vishpaan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
652 KB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दैत्यराज वल्लि ने सोचा
यह भी अच्छा प्रस्ताव रहा,
श्मर हमारे ही आश्रित हं
मिले £
प्रमृत मिते, हो हपं महा !
त्रिपुर श्रादि दैंत्यों ने मिलकर
घ्रीर विचार विमर्श किया,
फिर देवों का यह महत्त्वमय
संधि-निमंत्रण॒ मान लिया ।
बलि ने कहा इन्दं सै, श्रव से
हममे तुमं सधि रही,
जब तक श्रमृत न मिले,
तव तलक दानें श्रवर सिंघु मही ।'
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