गान्ध्ययन | Gandhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gandhyayan  by सोहनलाल द्विवेदी - Sohanlal Dwivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सोहनलाल द्विवेदी - Sohanlal Dwivedi

Add Infomation AboutSohanlal Dwivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पूजा-गीत वंदना के इन स्वरो मेँ एक स्वर मेरा मिका लो। राग में जब भत्त झूलो तो कभी माँ को न भूलो, अर्चना के रत्नकण में एक कण मेरा मिला लो। जब हृदय का तार बोले, शृंखला के बंद खोले; हों जर्हा वलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला खो। १३ २: गान्ण्ययन `




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now