गीता में ईश्वरवाद | Gita Men Ishwarawad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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¢^ 5 _ & गाता म इश्वरवाद । पहला अध्याय । छट्टीं दशनों की मोटी मोटी बातें |. इस देश में छः देन मुख्य समझे जाते हैं--न्याय. वैशेषिक, सांख्य पातव्जल, पूर्व मीमांसा आर उत्तर मीमांसा या वेदान्त, ये हों दर्शन सूत्र रूप में श्रथित हैं । सब से पहले ये सूत्र कब बने-- कस का निर्णय करना बहुत मुश्किल है । परन्तु यह बात तो सन्देद के बिना कहीं जा सकती है कि झ्राज हम छहों दशेनां को जिस रूप में अर्थात्‌ सूत्रबद्ध रूप में पाते हैं वे एक दिन में-+नहीं दज्ञायें शताब्दियों तक सोच विचार कर कहीं बन पाये ह । दशन जिस रूप में हमको आज सिलते हैं सब से पहले वे इस रूप में. नहीं थे । वे संकिप्ररूप में ज़रूर थे । श्रहदारण्यक उपनिषद्‌ भी खव पुराना है । उसमें एक जगह विद्यामेद के प्रसंग में “सूत्र” शब्द आया है-- श्रस्य महतो भ्ूतस्थ निः्श्वसितमेतत्‌ यदू ऋग्वेद यजुर्वेदः सामबेदाइधर्वा- ' छिरस इतिहासः पुराण विद्या उपनिपदः श्लोकाः सून्राणि ०००। २। ८ |9:०




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