प्राचीन राजस्थानी गीत | Pracheen Rajasthani Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्राचीन राजस्थानी मीत
भाग १०
कुमार अमरसिंद ( जोधपुर )
--: गीतः? :--
, दर्लोनाथ यागल् दिलो चंस रो दीपयण,
सूप राई तना राड रदौढ।
शमर् यणि्यौ मधर धारिय आतपत्र,
माल रो तिलक रियमाल हर मोड़ ॥ १ ॥
बड़ा ही वड़ा श्राचार दीप बिसपि,
बहे सबलां खलां खेति वागे ।
जग दये भेथिये ग्ण रौ जत्र हय,
जग हां वंघयण भरद् जाम ॥ २॥
घ्र हर षप सक्थ साहण समद,
तापि सादर श्रसमाण तोलें ।
श्रतग अरणरेण अणमंग उचा सिरी,
यदल् खल् -सार मँ दोल् बोले ॥ ३ ॥
घोल मद षोख अस तणा वादित्र घुर,
जीघ सामंत मैं थाट जोपे । -
चमर टले त्रिपति मिनमौ चॉड रन,
मर मेघाउंप (र) सीसि श्रौत ॥। ४ ॥
, (स्वभक्त)
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