दृव्यसंग्रह की प्रश्नोत्तरी टीका | Dravya Sangrah Ki Prashnottari Teeka
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गाथा २ ६
प्रश्न २८--देह बराबर श्राट्माके सम्बन्धमे क्या एक ही हृष्टि है या श्रन्य भी?
उत्तर--इस सम्बन्धमे ३ हृष्टिया है-- (१) भ्रशुद्धव्यवहार, (२) प
(३) निश्चय । श्रशुद्धव्यवहारसे तो जीव् जिस गतिम, जिस देहम रहता है उस देहके परिमाण
व्यञ्जन पर्याय (प्राकार) ह तथा उस देहके बढने घटनेपर उस ही जीव नमेभी सकोच
निस्तारहो जातादहै।
परष्न २६-शुद्धव्यवहारसे जीवके कितने परिमाण है ?
उत्तर--जीव जिस श्रन्तिम मनुष्यभवसे मोक्षको प्राप्त होता है उस मनुष्यके देहसे
किञ्चित् उन प्रमाण है । फिर वह प्रमाण न कभी घटता है श्रौर न कभी बढता है ।
प्रश्त ३०--मुक्त किथ्चित ऊन बयो' हो जाता है ?
उत्तर--इसमे दो प्रकारसे वन श्राता है--(१) सदेह भ्रवस्थामे भी जीवोके प्रदेश
बाल, नख प्रौर क्षपरकी श्रत्यत पतली भिल्ली, जसे चामके भ्रशमे नही ह्येते है, सो यद्यपि देह
छोडकर भी इतने ही रहते है, परन्तु वे देहसे कम कहे जाति है । (२) सन्देह श्रवस्थामे नाक,
मूख, कान श्रादि पोलकी जगहमे प्रात्मप्रदेण नहीं होते है, किन्तु मुक्त भ्रवस्थामे पोल नही
रहती है । वह स्थान भी भर् जाता है जिससे किञ्न्ित् उन कहा है ।
भरष्न ३१- निश्वयसे जोव किस परिम वालादहै?
उत्तर--निश्चयसे जीव लोकाकाश-प्रमाण श्रसश्यातप्रदेशी. दै विस्तार. हृषि व्यव -
प्रषन ३२--'सदेहपरिमाणो' ईस विशेषणसे कष्या विशेषता सिद्ध हई ?
उत्तर--इस विशेषणे श्रात्मा वट-बीज प्रमाण है, सर्वव्यापी है, एक सबद्धित है
झादि विरुद्ध प्राशयोका निराकरण हो जाता है ।
प्रश्न दे३े--भ्रात्मा किस नयसे किनका भोक्ता है ?
उत्तर--इस विषयकी प्ररूपणा उपचार, व्यवहारनय, श्रग्ुद्धनिश्वयनय, शुद्धनिश्वय-
नय, परमशुद्धनिश्वयनय--इन पाँच हृष्टियोसे करना चाहिये ।
प्रश्न ३४ -- उपचारसे श्रात्मा किसंका भोक्ता है?
“उत्तर--उपचारसे भ्रात्मा इन्दरियोके विषयभूतं पदार्थोको भोगता है
प्रश्न ३५--व्यवहारनयसे आत्मा किसका भोक्ता है ?
उत्तर भ्यवहारनयसे श्रात्मा साता झ्रसाताके उदयको भोगता है ।
प्रषन ३ ६--श्रशुद्धनिश्चयनयसे भ्रात्मा किसको भोगता है ?
उत्तर--श्रगुद्धनिश्चयनयसे ्रात्मा हषंविषाद भावको भोगता है । ‹
प्रष्न ३७--कुदनिश्चयनयज्ञे श्रात्मा किसको भोगता है ?
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