जैन धर्म का प्राचीन इतिहास प्रथम भाग | Jain Dharam Ka Pracheen Itihas Part - I

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : जैन धर्म का प्राचीन इतिहास प्रथम भाग - Jain Dharam Ka Pracheen Itihas Part - I

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बलभद्र जैन - Balbhadra Jain

Add Infomation AboutBalbhadra Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
८ पार्वंनाथ के माता पिता, चंदा प्रौर जन्मतिधि भगवान का जन्म कल्याणक पाइवंनाथ श्रोर महीपाल तपस्वी पा्इ्वकुमार का विवाह ? पार्वनाथ का वैराग्य श्रौर दोक्षा सम्बर द्वारा पाइवंनाथ के ऊपर उपरार्ग केवलज्ञान कत्याणक भगवान का चतुविध संघ निर्वाण कल्याणक पाश्वेनाथ श्रौर्‌ संवर के भवान्तर्‌ यक्ष-य क्षिणी भगवान पाइवंनाथ का लोफव्यापी प्रभाव ३५८--३६१ भेगव्रान महावीर पाड्वेनाय की जन्म नगरी--काशौ पार्वेनाय कौ निर्वाण-भूमि सम्मद शिखर सर्प्ताव तित्तम परिच्छेद २३६५-- ४०६ पूर्व भव गभं कल्याणक जन्म कल्याणकं जन्म-नगरी- वैशाली महावीर के माता-पिता वश शौर गोत्र नामकरण चाल-लीलाएँ चिरकुमार महावीर कुमारामात्य श्रौर महाबीर . जीवन्त स्वामी की प्रतिमा वैराग्य श्रौर दीक्षा रुद्रकृत उपसर्भ भगवान महावीर के फल्पाणफ स्थान नन्दनेन कं उद्धार नुलमन्ान्‌ कतपाणनः गणधर का समामम पर्म-नमनप्रयने न नगयान पे गणभर भगवान फा पप-मंष मेगमान कौ द्िव्यन्यनि तत्कालीन राज्य यगे पर भगयान कस प्रसाय णियक चि्यसार येलाना फा राजनपुरियार गिदा उदायन शगानोफ स्थर जीपन्परकुपार श्रन्य नरेघमण महावीर का लोकब्यापी प्रभाव महाचीर के समकालीन सेथधिक पूर्णखादमप मंखलि गोशालक श्रजितकेश वम्वंल प्रकुद्ध कात्यायन संजय वेल ट्रिपुन्न गौतम चुद्ध भगवान महावीर का परिनिर्वाण भगवान महावीर कैः यक्ष-यक्षिणी ४०६--४१० जन्म कत्याणक स्थान दीक्षा कल्याणकं स्थान केवलज्ञान कल्याणक स्थान निर्वाण कल्याणक स्थान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now