विदेश यात्रा | Videsh Yatra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
श्रीयुत मुकुतबिहरीलाल भार्गव - Shreeyut Mukut Biharilal Bhargav,
स्व. पं. विशननारायण दर - Sw. Pt. Vishannarayan Dar
स्व. पं. विशननारायण दर - Sw. Pt. Vishannarayan Dar
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
श्रीयुत मुकुतबिहरीलाल भार्गव - Shreeyut Mukut Biharilal Bhargav
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स्व. पं. विशननारायण दर - Sw. Pt. Vishannarayan Dar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विदेशयात्रा । विवेकी और बुद्धिमान् भारतवासियों के विचार में भारत- बष से बादर यात्रा करने का विचार थोड़े समय से विशेष होगया है विशेषत इस कारण से कि भारतीय जीवन के कुछ परमावश्यक श्र गर्सीर सिद्धान्तों पर इसकां बहुतहदी प्रबल प्रभाव पड़ता है यदद सिद्धान्त कई विभागों में विसक्त दुआ्मा है और हर भाग इस योग्य है कि उस पर अत्यन्त सोच विचार किया जावे । विदेशयात्रा की प्रेरणा अधात् भारतवालों का अन्य देशों में जाकर अपरिचित मनुष्यों से मिलना जिनके रहन-सहन से दम अज्ञात हैं हमारी जातीय- शिक्षा के परम सिद्धान्त से अत्यन्त निकटतर सम्बन्ध रखता है । यह तो उसका जुख्यात्मक और आचारसम्बन्धी साग हुआ अब राजनेतिक भाग लीजिये इस प्रकार की यात्रा हमारे विचारों को शासकों के कतंव्य व प्रजा के स्वत्व सम्बन्ध में झावश्य बदल देंगी क्योंकि उसके द्वारा हमारे सामने वास्तविक आर जीती जागती समाजों के उदाहरण झायंगे जिन्होंने झपने राजनेतिक नियमों व शासन की रीतियाँ को ऐसे रूप में संगठित करके उच्च बवस्था पर पहुँचाया है जो उन राजनेतिक नीवों से सबधा मिन्न है जो एशिया के - इतिहास में हमें मिलती हूं इसके
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