गांधी दर्शन और शिक्षा | Gandhi Darshan Aur Shiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“आने वाली पीढियाँ शायद मुश्किल से ही यह विर्वा कर सकेगी कि
गाधी जैसा हाइ-मास का पुतला कभी इस धरती पर था | गाधी जी के
समकालीन, विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलवर्ट बाइंस्टोन ने गाधी जी के
व्यक्तित्व के संदर्भ में उन विचार प्रकट किये थे । उन्होंने यह भी कहां कि
“गांधी, इन्सानों में एक चमत्कार था ।”
व्यक्तित्व के इस आाकलम मे न तो अतिशयोक्ति है, न मात्र औप-
चारिकता । मुग की प्रमुख प्रवृत्तियों को देखते हुए उपयुक्त अभिव्यक्ति की
संगति तथा उपयुस्तता स्वयं सिद्ध है। निश्चित रूप से गाधी जी “इन्सानों
मँ चमत्कार थे ।
णव युग हिता, युद, वैमनस्य एवं ूटनीतियौ मे भकं दूवा हो तब
गांधी अद्िसा, युद्ध-निरोध, परस्पर प्रेम तथा घर्म-सम्मत राजनीति की बात
कृतता टै । युग जव भौतिक सम्पन्नता कौ सभ्यता तथा सस्टरतिकौ श्रेष्टतम
उपलब्धि घोषित कर र्हा हो तव गांधी आत्म-सम्पत्नता तथा आध्यात्मिक
भेष्टताको पस्यापिद् करने का प्रयास करता है, यह कहकर कि भौतिक
सम्यता दानवीय है, शैतान की है। युग लव औद्योगिक तथा प्रौद्योयिक
सफलताओ के प्रतिफलनस्वस्प अपने को व्यापार की लाभहानि दती
हिसायो नैतिकता से जोड़ चुका है, और जोड़ता जा रहा है, तब गाधी उसे
सदाचार भी नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहता है। यही नहीं, जब साम्यवाद
नामक राजनीतिक सम्प्रदाय रक्न-वान्ति तया सामूहिक हिसः दवारा समाज-
वाद तथा समानता लाने को कटिबद्ध है हब गाधी बात करता है सत्यापह
पी, हृदय-परिवर्तन की, सबके उदय वी । ऐसा प्रतीत होता है कि उसने
पुग वो मति के प्रतिकूल चलने की भपध ले सी है। उसे उसने हर स्वीइत
मान्यता एवं मूल्य को उल्टा टॉगने वा निश्चय कर लिया हो--अटल
ब्यक्तित्व १६
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