रेवती - दान - समालोचना | Ravati - Dan - Samalochana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रत्नचन्द्रजी महाराज - Ratnachandraji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तार अत नन्वा क्य चूषा
२. चनीपषि दर्पण--मं» रूदिराज विरजचरणु शुषा कांस्य
भूषणः राजवंध, कूच ( विद्ार } संर १९०९.
२, सुश्रुत संहिता--दिन्दी सापानुवाद युक्त, पश्र
श्यामलाल, शीकृप्गलाल, सन् १८९६
२, वैफ शब्द सिन्पु--पर कदिगज भी दमेशचन्द रुष्व
सन् १८९४.
४, कारिकापली->मिद्धान्त मुक्ावली सिवा श्री शििनाय
पंचानन मट्टाचाय रिरमिवा सन् १९१२ प्र. शु. पि. परेम
थे, कयदेद नियएडु--कर्ता-्ायुर्देदाधार्य पं. सुरेन्द्र मोदन
छ, है, बैच कनानिधि (कलकत्ता), आार्य-दयानंदा (
युर्वदिक कलिज लादौर ता. २०० १९२८,
प्र. संदइश्पंद लदइमणदाल, सैदमिट्रा थाजार, लादौर,
६, पदाथ चिस्ापणि---पक, मेश्पटे्र महापा मा,
शी, सधशनतिंदजी ( उदयपुर 9, से, १५४० श्प
सम्जन यंप्रालय से प्रशारित,
स. शालिप्राम नियणडु--र्स, शानिपाम बैरय: ( गुरादाबाद ?
प, रेमयजः भौष्टणदातः ( न्व ) से. १९६९,
८, बाभट--चरणदत प्रणी भ्यार्पा सहि
थ. षार्डुरग जत्र ( तिष्व मुदणालय )
धम्दद्, शाशाण्ट् १८४६ सम् १९२५
रेवतीदान समालोधना के सम्पाइन में हपरोक्त पर्यों का
वाधार लिया है । श्रत: रक्त घन्यों के सम्पाइक एवं मकासकों
शा झाभार प्ररट किया करता दे [ सेखक--
User Reviews
No Reviews | Add Yours...