श्री भगवती सूत्र के थोकड़े [भाग ८] | Shri Bhagwati Sutra Ke Thokde [Bhag 8]

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : श्री भगवती सूत्र के थोकड़े [भाग ८] - Shri Bhagwati Sutra Ke Thokde [Bhag 8]

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जेठमल - Jethmal

Add Infomation AboutJethmal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ लोकाकाश के असंस्प्याव प्रदेशों में नन्त द्रम्यं समाये हप र संब मते! सद मंतर ! ! थोरुका ° १०१ भी मगबसीप्ी झवक २४वें शतक के दूसरे ठइशे में 'ठिया अठिया' ( स्थित अस्थित ) का थोकड़ा घठता दे सो कदते ई-- श-भददो मगवनू ' वीम मौद्रिक शरीर पये पदगो को ग्रदश करवा दे वो क्ष्या स्थित (दिपा ) #पुदूगसों को ग्रहण करवा दे ! या भ्रस्थित (भिया ) पूगो ष्ठ प्रण श्रवा ३१ हे गौतम ! स्थित द्रव्यों को मी प्रदम करता दे भीर भस्थिद र्यो षो मी रहण फतवा है) द्रष्य चत्र तते माप्र यावद्‌ २८८ पो निर्प्यापात भारी नियमा ६ दिशा का प्रम करता रै, म्पापाव झासरी मिय ३ दिशा का सिय ४ दिशा का, सिंग « ५ दिशा का प्रद्ण बरता दे ! २-भहे मगयन्‌ ! खीर बक़िय शरीरपस्थ पुदगलों को प्रइभ करता है तो क्षपा स्थित पुदुगठों को प्रदण करता दे या झस्यित पृदूगलों को ग्रहण करता दे ? मीतम ! स्थित मी ग्रदण करता दे भीर सर्वित मी प्रदण करता दे। दम्य घत्र काल माप यावतुक कजिगते पाइप प्रदेशों में जीव रहा हुपा है उतने मापाध अदेशों में रहे हए पृषती को स्वित बढ़ते हे भौर के बाहर के सो में रदे हुए पुरगतों नो घरिवत कहते है ! उत पूततरणों को बह सै शीब का बीग धइए काठा है। दूसरे घाजार्य दवा बढ़ते है कि-जो इम्य बति रहित हैं मै रिविठ है पीर जो इग्य वति धद्ित है ये झरिपत है 1 ( टीका में ) करपब बोयों या वन शपरषणा मद कै थोरडों के तीतरे भाप में अत इन पर दिया पादै)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now