कल्याणकल्पद्रुम: | Kalyankalpdrum

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Kalyankalpdrum by मथुरादास - Mathuradas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना ` ॐ नमो भगवत उत्तम शोकाय नम आर्य॑छक्षण सीट- व्रताय नम उपरिक्षितात्मने उपासितलोकाय नमः साधुवाद्‌ निकषणाय नमो ब्रह्मण्यदेवाय महापुरुषाय महाराजाय नमः। ` का ( मीमदार करद) , यहं संसार महा दुःख सागर है. भवसिन्धुकी उता तरङ्गौमे अथडाते हुए प्रत्येकं जीव किसी न किसी मार्मिक पीडाका अनुमव करते ही हैं। ऊपरसे देखनेंमे भरे सुखी और धनी प्रतीत होते हों परन्तु हृदयमें तो नाना प्रकारकी चिन्ताओकी प्रचण्ड चितायें जछतीही रहती हैं। विश्वके परयेक प्राणी भयत््तहै--- = रोग भयं इटेच्युति भयं वित्ते वरपालद्वयं, ` तेः देन्य मयं बटे रिपुभयं रूपे जरायामयम्‌। ` गुणे खलभथं काये कतान्ताद्वयं,




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