प्रेमपन्थ (योजन २ ) | Prem Panth (Yojan 2)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
382 KB
कुल पष्ठ :
81
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूत्यू और अभुगत्व ९
(ट)
जीवन मृ्युकौ तैयारो टै) भगवान जाने
जैसा बयों होता है, लेकिन यह सच है कि जिग
अनिदार्थ और भव्य घटनाका विचार करते दही
हम कपि अटते ह । जीर बुछ नहीं नो भगवानमे
डर कर चलनेवाले प्रत्येक मनुप्यके लिअ पिछले
जीवनम अधिक अच्छे जीवनकी तयारीके रूपम भी
मृत्यु भव्य है) { मीरावद्नको० )
(ट)
मृत्य सज्जनको अधिक अच्छी ददतां पहुचनिी
हैं और दुरजेनके लिभे कल्याणकारी दुटकारेको काम
कसती दै -- असी दढ धडा हमारे मनम हो, ततौ
मरके समय सन्तोप रहता है । (मीरावहनको ०)
(ण)
अीहवस्की छपा ओीद्विस्का काम करनेमे भाती
द । तुमको आदवरा काम कना है । कमी चरवा
चलाते हो? चरखा चलाना सबसे बड़ा यज्ञ है।
सेते रोते भौ चरा चाओ! (श्रौ अनन्द
दिमोसणीको युपदेश, मूल हिन्दी; १५-१०-४४)
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