जयप्रकाश | Jaiprakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
259
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अयप्रकाशं
दियारे के छोग शपने दुस्पाइय भौर दबपपन के लिए. बिहार में मशहूर
हो नहीं, मदनाम मी हैं ! बदनाम भी १--दाँ | अभी उस साठ इस प्रिताबन
दियारे में एक मुटूठी सरपन के लिए पया चूत की नदी नहीं बढ गई थी १
गाँव के दो टोलों के दो दही में, घास के लिए काटी गई एक पुलिया
सरपत के लिए, खासी मारपीट मच गई--छाठियाँ चहीं, भाछे चढ़े और
अन्त में गोलियाँ तरू चल कर रहीं |
गंगा के उतार के बाद खेतों में गेहूँ, चने, मटर की फमलें जो लद्दाती
द, षद देक टौ लय | भवादौ के याद् भो बहृतन्षो मोन यों दी पढ़ी
रदत दै, जदा षा, यरपत शादि कौ पातं सदतो है, ननम भैष वरतो
रहती हैं | गेहूँ को रोटो थौर मैंस का दूधददी सा-पीकर भादमों यहाँ
सत्तरद-भयरद साक मे दौ गम जवान बन जाता है| बिंदार को सुपुष्ट
छुन्दर मानवता के नमूने देखने हो; तो ापको इन दियारों को सैर करनी
चाहिये ।
इन्हीं दियारों में एक प्रमुख दियाए है सिताब-दियारा । कहा जाता है,
इसे राजा शिताबराप ने बचाया था, जो आखिरी सुपश्मानी जमनि मे बिहार्
कै गवरनर ये । राजा पिताष्राय बढ़े दी योग्य और चुर व्यति थे। द्वु,
देवा का दुर्भाग्य कहिए कि उन्दोनि सगरेजों का पक्ष लिया था और विहार में
छॉंगरेजों को हुकूमत को नॉव मजबूत करने में उनका बढ़ा दाप था 1. ऐति-
दाधिक प्रतिशोध का यद भी एक उदाइरण है कि उसी सिताबराय के श्ये
दियारे में एच ऐवा लड़का देद! हुआ, नो मॉगरेजी हुझमत को भारो
इंट तर उध्यद़ फौसूने में दत्तचित्त है 1
शपनी ऐतिदासिसता के लिए दो नदीं, एक भौर हिथति ने सिताब-दियारे
को प्रमुखता भौर प्रश्निद्धि दे रखो है । दो नदियों का सगम-हयल हिन्दोह्तान
में स्वमावतः ही तीर्यमूमि का सम्मात घाप्त कर लेता है । जहां दो धारायें
मिलकर एक दो लायें--वद स्यल क्यों न पूत-पुण्य समा जाय १. सिताव-
दियारे में उत्तर भारत को दो प्रसिद्ध नदियों का पणम हुआ दे । यहाँ
सरयू (षापप) षहरातो ह भार विशाल ददा जवो (गा से घा
मिरती है ।
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