कविवर परमानन्दस | Kavivar Parmananddas Aur Unka Sahite

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Book Image : कविवर परमानन्दस  - Kavivar Parmananddas Aur Unka Sahite

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ६ 1 इतिहासकारो श्रीर ग्रालोचको ने कुछ अनुमान श्रौर कुछ झन्तस्साकष्य -वाह्यसाक्ष्य के श्राघार पर इनकी जीवनियों के संबधघ में कुछ मान्यताएँ निर्धारित की हैं किन्तु उनको श्रतिम रूप से सत्य नहीं कहा जा सकता क्योकि नवीन तथ्यो के प्रकाश में उनमें परिवर्तन की पर्याप्त गुंजाइदा वरावर बनी हुई है। फिर भी किसी भी कवि या लेखक का जीवन चरित लिखने के लिए श्रतस्साक्ष्य श्रोर वाह्मसाध्य के रूप में उपलब्ध सामग्री के विस्लेपण की परिषाटी सी हो गई है । “रत श्रप्टछाप के इन भक्त कवियो का जीवन चरित लिखने के लिये प्राय. निम्न बातो पर विचार किया जाना श्रवदयक प्रतीत होता है-- १--मन्तस्सा्य के श्न्तर्मेत कवि का काव्य, उसके पद तथा पदों में प्रसगदश की गई. यत्र-तन ग्रात्म-चर्चाएँ । २--वाष्यसाक्षय के श्रन्रमंत -- ( भ्र ) साम्प्रदायिक प्रन्य झ्न्य चरिन्न-साहित्य, वार्ता साहित्य ग्रादि । इतिहास, समसायिक लेखकों की कृतियाँ समकालीन अन्य प्रत्य एवं श्रन्य राजकीय प्रमाण झादि । उपर्युक्त साक्ष्यो के श्राघार ग्रहण करने के पूर्व श्रप्टछापी कवियों के सबध में दो हप्टियों पर भी ध्यान रखना होगा*-- १--झप्टछाप सबघिनी साम्प्रदायिक-भावना । २--सम्प्रदायितर साहित्य-रसिको की भावना ।




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