हमारे आराध्य | Hamare Aaradhya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
बनारसीदास चतुर्वेदी -Banarasidas Chaturvedi
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लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सहाप्राण माइकेल बाकूनिन ३
भ्रधिक-से-भ्रधिक दड देनेमे श्रपना सौभाग्य समर्भेगी । वदे रसेलने
श्रपनी पुस्तकमें वाकूनिनका जीवन-चरित लिखते हुए ये शब्द कहे ह--
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भर्थात्--”इसके वाद बाकूनिनके जीवनमें एक ऐसे युगका प्रारम्भ
हुमा, जिसमें उन्हे विभिन्न देशोके कितने ही जेलखानोमे लम्बे-लम्बे समय
तक रहना पड़ा। १४ जनवरी सन् १८५०को जर्मन सरकारने उन्हे फासीका
हुक्म दिया था, पर पाच महीने वाद यह सका काट दी गई भ्रौर जर्मन
सरकारने वाकूनिनको भ्रास्टरियन सरकारके सुपुदं कर दिया । भ्रास्टरियन
सरकार नाकूनिनको दड देनेके लिए पहलेसे ही तुली वटी थी भ्रौर उसने
मई सन् १८५१मे बाकूनिनको फॉसीका हुक्म दिया । पीछे यह सजा
आजीवन जेलखानेके रूपमे वदल दी गई। श्रास्ट्रियन जेलखानोसे
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